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हाईकोर्ट ने दाऊद के सहयोगियों को सुनाई गई सजा रखी बरकरार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक बिल्डर के अंगरक्षक की हत्या के मामले में दोषी पाए गए माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के दो सहयोगियों को सुनाई गई अजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने प्रकरण से जुड़े साभी तथ्यों व परिस्थितियों पर गौर करने के बाद कहा कि मामले को लेकर निचली अदालत की ओर से दिए गए फैसले में हस्तक्षेप की जरुरत नजर नहीं आती है।
सत्र न्यायालय ने इस मामले में दाऊद के करीबी प्रवीण मिश्रा उर्फ सचिन व अभिषेक सिंह को साल 2011 में बिल्डर मनीष ढोकालिया के अंगरक्षक अजित येरुरकर की हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास व 60 हजार रुपए के की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
अपील पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले से जुड़े प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयानों पर गौर करने के बाद आरोपियों को सुनाई गई सजा को बरकरार रखा। आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने दावा किया कि घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाहों ने घटना के एक माह बाद आरोपियों की पहचान की है। उन्हें ठीक से आरोपियों का चेहरा ध्यान में नहीं था। इसलिए मेरे मुवक्किल ही हत्यारे है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान विश्वसनीय नजर नहीं आ रहे है। क्योंकि यह घटना के बाद गवाह सहमे हुए थे। ऐसी स्थिति में वेआरोपी को ठीक से नहीं देख पाए थे।
इस तर्क को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि आरोपियों के चेहरे गवाहों के दिमाग में पूरी तरह से जैसे छप गए थे। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपियों के चेहरे गवाहों की स्मृतियों से मिट गए थे। इस तरह से खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद आरोपियों को सुनाई गई सजा को बरकरार रखा।
Created On :   21 July 2021 10:03 PM IST