रेत कम डस्ट ज्यादा मिलाकर बनाई जा रही है हाईस्कूल दिया की बाउण्ड्रीवाल

High school diyas boundary wall is being made by mixing more sand less dust
रेत कम डस्ट ज्यादा मिलाकर बनाई जा रही है हाईस्कूल दिया की बाउण्ड्रीवाल
पहाडीखेरा रेत कम डस्ट ज्यादा मिलाकर बनाई जा रही है हाईस्कूल दिया की बाउण्ड्रीवाल

डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा । स्कूलों में कायाकल्प के तहत बाउण्ड्रीवाल का कार्य कराया जा रहा है पर पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही सरपंचों द्वारा पुराने कार्यों में लीपापोती कर नियम विरूद्ध कार्य को अंजाम देकर राशि ठिकाने लगाने का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में जोर-शोर से चल रहा है। ऐसा ही मामला जनपद पंचायत पन्ना के पहाडीखेरा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत दिया के शासकीय हाईस्कूल में बाउण्ड्रीवाल निर्माण का सामने आया है। जहां २३० मीटर लंबाई की बाउण्ड्रीवाल का निर्माण करीब १४ लाख रूपए की राशि के साथ कराया जा रहा है पर जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते सरपंच, सचिव द्वारा बाउण्ड्रीवाल निर्माण कार्य मापदण्डों को दरकिनार करते हुए घटिया व गुणवत्ताविहीन सामग्री का उपयोग कर राशि ठिकाने लगाने की जुगत में लगे हुए हैं। आरोप है कि बाउण्ड्रीवाल के निर्माण का कार्य ठेकेदार के माध्यम से करवाया जा रहा है। जहां पिलर में १२ एमएम की सरिया की जगह १० एमएम की सरिया का उपयोग किया गया है और रेत से ज्यादा डस्ट का उपयोग किया जा रहा है। ईटें मानक स्तर की नहीं लगवाई जा रही हैं और बाउण्ड्रीवाल टेढी-मेढी बनाई जा रही है। जिसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि नवसिखिया मिस्त्री के द्वारा कार्य करवाया जा रहा है। दीवाल में सीमेण्ट कम रेत वह भी डस्ट ज्यादा मिलाई जा रही है। इन अनियमित्ताओं के बारे में जिले के जिम्मेदारों व हाईस्कूल दिया का स्टॉफ पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। उक्त ग्राम पंचायत दिया में पंच परमेश्वर जैसी कई योजनाओं में व्यापक स्तर पर कई फर्जीवाडे किए गए हैं। स्थानीय लोगों ने ग्राम पंचायत में विगत आठ वर्षों में किए गए कार्यों की जांच की मांग जिला प्रशासन से की गई और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की गई है।
इनका कहना है
मेरे द्वारा बाउण्ड्रीवाल को देखकर कई बार मजदूरों को रोका गया पर मजदूर यह कह रहे हैं कि जैसा कार्य सचिव करवायेगा वैसा हम करेंगे। सचिव से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जाता है। जब से बाउण्ड्रीवाल का निर्माण प्रारंभ हुआ है तब से एक भी बार पानी नहीं डाला गया है। रेत की जगह डस्ट का उपयोग किया जा रहा है।
 

Created On :   2 Jun 2022 3:20 PM IST

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