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ऑस्ट्रेलिया में बजा हिन्दी का डंका, बनी लोकप्रिय भाषाओं में एक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ऑस्ट्रेलिया के मेल्बर्न में हिन्दी भाषा का बोलबाला रहा। यहां 24 अक्टूबर को हिन्दी कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसे ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टिट्यूट ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। इस मौके पर हिन्दी से जुड़ी खास हस्तियों को बुलावा दिया गया था। जिसमें नागपुर की वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा पाटिल ने शिरकत की। पूर्णिमा को उनके द्वारा लिखित पुस्तक "ऑस्ट्रेलिया में भारतीय संस्कृति और हिंदी" पर विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया था। कार्यक्रम में पूर्णिमा ने अपने अनुभव सांझे किए, साथ ही हिन्दी की व्यापकता पर प्रकाश डाला।
विद्वानों ने हिन्दी भाषा पर रखे विचार
हिन्दी का हित चाहने वाले विद्वानों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। भारत से पत्रकार और लेखिका मृणाल पांडे और वाणी प्रकाशन की कॉपी राइट प्रबंधक अदिति माहेश्वरी गोयल को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। ऑस्ट्रेलिया के हिन्दी विद्वानों में डॉ. रिचर्ड बार्ज, डॉ. इयन वूलफोर्ड, डॉ. दिनेश श्रीवास्तव, एसबीएस रेडियो ऑस्ट्रेलिया की पत्रकार कुमुद मिरानी, साहित्यकार रेखा राजवंशी, काव्य संध्या के संयोजक डॉ. सुभाष शर्मा के अलावा विक्टोरिया प्रांत स्थित रैंजबैंक प्रायमरी स्कूल के प्रधानअध्यापक कॉलिन एवरी ने हिस्सा लिया। रैंज बैंक ने हिन्दी को अनिवार्य विषय के रूप में प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाना शुरु किया था। उस स्कूल के प्रधानअध्यापक कॉलिन ने हिन्दी विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यशाला का सफल संयोजन ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के हिन्दी प्राध्यापक डॉ इयन वूलफोर्ड ने किया।
हिन्दी लोकप्रिय भाषाओं में एक
आपको बतादें ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी भाषी तेज़ी से फैल रहे हैं। वहां मैंडरिन के अलावा हिन्दी लोकप्रिय भाषाओं में एक है। करीब दो करोड़ की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया में एशिया से हो रहे अप्रवास का असर भी साफ़ देखा जा सकता है। पिछली एक शताब्दी के दौरान ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हिंदी में सभी भाषाओं को के शब्दों को शामिल करने की क्षमता है।
Created On :   25 Oct 2017 9:43 PM IST