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आईसीएसई की 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा को सरकार से अनुमति नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना प्रकोप के मद्देनजर राज्य में इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन बोर्ड (आईसीएसई) की कक्षा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षा को अनुमति देने से इंकार कर दिया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में आपदा प्रबंधन कमेटी की बैठक में इस बारे में निर्णय किया गया है। बुधवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस बारे में जवाब मांगा था और कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में "देखो और इंतजार करो" की भूमिका न अपनाए।
हाईकोर्ट में पेशे से वकील अरविंद तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही हैं। याचिका में बोर्ड की ओर से कक्षा 10 वीं व 12 वीं की बकाया परीक्षा लेने का विरोध किया गया है। यह परीक्षाएं दो जुलाई से शुरु होने वाली है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई।
इस दौरान महाधिवक्ता कुम्भकोणी ने कहा कि सरकार कोरोना के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति की वजह से शुरु से ही सैद्धांतिक रुप से परीक्षा के आयोजन के पक्ष में नहीं थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विश्विद्यालय की परीक्षा भी रद्द कर दी है। जबकि केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई बोर्ड को लेकर मामला प्रलंबित हैं। वहां के निर्णय के आधार पर आईसीएसई बोर्ड के बारे में लिए गए निर्णय के बारे में सूचित किया जाएगा।
वहीं बोर्ड के वकील ने कहा कि परीक्षा न देने वाले विद्यार्थियों के रिजल्ट का निर्धारण कैसे होगा, इसका तरीका अब तक तय नहीं हो पाया है। इसके लिए 25 जून तक का समय दिया जाए। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। महाराष्ट्र में बोर्ड की 226 स्कूल हैं। जहां 23 हजार 347 दसवीं के विद्यार्थी हैं। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अब महाराष्ट्र सरकार ने परीक्षा की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। इसलिए बोर्ड विद्यार्थियों को उसकी ओर से दिए गए विकल्पों को चुनने को न कहें। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 29 जून को रखी है
Created On :   24 Jun 2020 4:55 PM IST