नागपुर पुलिस की मनमानी पर लगेगा अंकुश, संतरानगरी में होगा पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र

Independent police complaint authority will setup in Nagpur city
नागपुर पुलिस की मनमानी पर लगेगा अंकुश, संतरानगरी में होगा पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र
नागपुर पुलिस की मनमानी पर लगेगा अंकुश, संतरानगरी में होगा पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अभय यादव। पुलिसिया मनमानी के ऐसे अनेक मामले सामने आते रहे हैं, जब अकारण ही किसी को किसी भी मामले में फंसा दिया जाता है। पीड़ित के सामने समस्या यह होती थी कि वह संबंधित पुलिस अधिकारी की शिकायत किससे करने जाए। राज्य के गृह मंत्रालय ने नागरिकों की इस समस्या को स्वतंत्र पुलिस शिकायत प्राधिकरण की स्थापना कर अब दूर कर दिया है। पीड़ित प्रत्यक्ष, पोस्ट या ई-मेल पर ऑनलाइन कर सकता है।  

देश में पहला राज्य
हर माह मुंबई स्थित प्राधिकरण के अध्यक्ष कार्यालय को 400 से 500 शिकायतें मिल रही हैं। नागपुर में जल्द ही पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र की शुरूअात होने जा रही है। शिकायत की पूरी छानबीन की जाएगी। नागपुर में भी पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र की शुरूआत संभवत: मई माह के अंत तक होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सदस्य उमाकांत मिटकर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुंबई, नाशिक और पुणे में इस प्राधिकरण की शुरूआत हो चुकी है। महाराष्ट्र देश का संभवत: पहला राज्य होगा, जहां पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण केंद्र की शुरूआत हुई है। 

ऐसी है व्यवस्था
नागपुर, कोंकण, औरंगाबाद आैर अमरावती में भी जल्द ही इस प्राधिकरण की शुरूअात की जाएगी। प्राधिकरण के सदस्य उमाकांत मिटकर ने बताया कि इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सेवानिवृत्त आईपीएस पुलिस अधिकारी और भारतीय प्रशासनिक सेवा विभाग का सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी व सदस्य शामिल हैं। 

ऐसे कर सकेंगे शिकायत 
पीड़ित व्यक्ति, उसका परिवार, दोस्त, एक-दो प्रत्यक्षदर्शी अपनी शिकायतें लिखित कर सकते हैं। ई मेल - mahaspca@gmail.com पर या राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण 4थी मंजिल, कुपरेज टेलिफोन एक्सचेंज बिल्डिंग महर्षि कर्वे रोड नरीमन पाईंट मुंबई में भी शिकायत किया जा सकता है। पुलिस अधिकारी के दोषी पाए जाने पर प्राधिकरण उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश कर सकता है। कार्रवाई नहीं करने पर संबंधित विभाग को प्राधिकरण को लिखित स्वरुप में जबाब देना होगा। प्राधिकरण के पास सहायक पुलिस आयुक्त से लेकर अन्य अधिकारियों की शिकायतों पर सुनवाई होगी। जिला स्तर पर सहायक पुलिस आयुक्त से लेकर कनिष्ठ स्तर के अधिकारियों की शिकायतों पर सुनवाई होगी। हालांकि अभी तक जिला स्तर पर इस प्राधिकरण को शुरू नहीं किया गया है। 

ऐसे हुई थी शुरूआत 
प्राधिकरण में शामिल एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार ने वर्ष 1977 में राष्ट्रीय पुलिस आयोग का गठन किया था। इस बारे में गठित आयोग ने 1979 में अपनी पहली रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। उस रिपोर्ट में पुलिस शिकायत प्राधिकरण को स्वतंत्र रुप से बनाने की सिफारिश की गई थी। वर्ष 1998 में रिबेरो समिति और वर्ष 2000 में पद्मनाभैया समिति ने भी सरकार से यह सिफारिश की थी। पुलिस विभाग व अन्य सरकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई। इसके लिए नागरिकों को अदालत की शरण में जाना पड़ता था। अदालतों पर काम का बोझ इतना है कि वह ऐसे मामले के लिए समय ही नहीं निकाल पाते थे। वर्ष 2006 में प्रत्येक राज्य में राज्यस्तरीय व जिला स्तरीय पुलिस शिकायत निवारण प्राधिकरण स्थापना का प्रावधान कर आदर्श पुलिस कानून बनाने की मांग की गई।

सर्वोच्च न्यायालय ने 22 सितंबर 2006 को प्रकाश सिंग व अन्य के खिलाफ की गई इस तरह की शिकायतों पर सुनवाई कर केंद्र सरकार को सभी राज्यों में राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण की स्थापना करने का आदेश दिया था। 25 जुलाई 2008 में महाराष्ट्र राज्य के गृहमंत्रालय ने एक जीआर निकालकर राज्य व जिला स्तर पर पुलिस शिकायत निवारण प्राधिकरण स्थापना करने का निर्णय लिया। यह मामला ठंडे बस्ते में चले जाने पर वर्ष 2013 में मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई।

12 जून 2014 को इस याचिका पर सुनवाई कर न्यायालय ने राज्य सरकार को प्राधिकरण की स्थापना करने का अादेश दिया। 25 जून 2014 को महाराष्ट्र पुलिस कानून में सुधार किया गया, लेकिन प्राधिकरण अस्तित्व में नहीं आया। वर्ष 2014 में फिर सर्वोच्च न्यायालय में प्राधिकरण के गठन को लेकर याचिका दाखिल की गई। अंतत: 23 मई 2015 को राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए. वी. पोतदार की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण की स्थापना की। 

फर्जी शिकायतें भी मिली हैं
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध पंजीयन विभाग) के अनुसार, वर्ष 2014 में 7500 शिकायतें, 487 पुलिस पर अपराध दर्ज , 386 पुलिस वाले गिरफ्तार किए गए, इसमें 2 हजार 300 फर्जी शिकायतें निकलीं। 2015 में 8 हजार शिकायतें राज्यभर से प्राधिकरण को मिलीं। 536 पुलिस पर मामले दर्ज हुए, इसमें से 454 पुलिसवालों को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन 3 हजार 962 फर्जी शिकायतें निकलीं। वर्ष 2016 में राज्य में पुलिस के खिलाफ 9 हजार शिकायतें मिली थीं। वर्ष 2017 में 700 से अधिक शिकायतें मिली। इसमें 500 से अधिक पुलिस वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। वर्ष 2018 में अभी तक सैकड़ों शिकायतें मिल चुकी है। प्राधिकरण उसकी छानबीन कर रहा है। 

हमारा उद्देश्य- किसी के साथ नाइंसाफी न हो 
उमाकांत मिटकर, सदस्य, राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के मुताबिक पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ नागरिकों की शिकायतों की तो झड़ी लगी रहती है। हर महीने 400 से 500 शिकायतें मिलती हैं। हर शिकायत की गंभीरता से जांच-पड़ताल की जाती है, ताकि किसी के साथ नाइंसाफी न हो सके। कुछ शिकायतें झूठी भी निकलती हैं। 
               

Created On :   15 May 2018 9:15 PM IST

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