बुनियादी सुविधाएं अब भी सपना - प्रो. वानखेड़े

Infrastructure still a dream - Prof. Wankhede
बुनियादी सुविधाएं अब भी सपना - प्रो. वानखेड़े
नागपुर बुनियादी सुविधाएं अब भी सपना - प्रो. वानखेड़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आदिवासी परिषद का आयोजन किया गया। परिषद के पहले सत्र में रोहतक की वैज्ञानिक प्रो. विनोद बाला तक्षक ने बद्रीनाथ के अंतिम छोर के आदिवासी गांव ‘माना’ पर अपना शोध प्रस्तुत किया, वहीं आदिवासियों के उत्थान विषय पर शासकीय विज्ञान कॉलेज की प्राचार्य डॉ. हेमलता वानखेड़े ने भी अपना शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि गड़चिरोली को अब भी स्वास्थ्य सेवा का इंतजार है। परिषद में आदिवासियों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई। सत्र की अध्यक्षता नागालैंड विद्यापीठ के कुलगुरु प्रो. परदेशी लाल ने की। सत्र में केंद्रीय खाद्य तकनीकी अनुसंधान संस्थान मैसूर के वैज्ञानिक प्रो. प्रकाश हेमानी समेत अन्य ने भी  मार्गदर्शन किया। सत्र का संचालन और आभार प्रदर्शन समन्वयक डॉ. शामराव कोरती ने किया।

स्वास्थ्य सेवा का इंतजार : गड़चिरोली के संदर्भ में आदिवासियों के उत्थान विषय पर शासकीय विज्ञान कॉलेज की प्राचार्य डॉ. हेमलता वानखेड़े ने अपना शोध प्रस्तुत करते हुए कहा कि 26 अगस्त 1982 को चंद्रपुर से अलग होकर जिले के रूप में गड़चिरोली अस्तित्व में आया। करीब 10,72,942 जनसंख्या वाले जिले में गोंडी, मड़िया, मराठी, बंगाली और तेलुगू भाषा बोलने वाले गोंड, कोलम, परदान समेत अन्य जनजाति के समुदाय रहते हैं। सागवान, बांबू की प्रचुर मात्रा के साथ महुआ, धान, तेंदू पत्ता, तेलहन समेत वन उपज की बहुतायत है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा के साथ ही अन्य बुनियादी सुविधाएं अब भी सपना बनी हुई हैं।

स्वयंसेवी संस्थाएं सेवा दे रही हैं

अहेरी के कमलापुर गांव का उल्लेख करते हुए डॉ. वानखेड़े ने बताया कि अहेरी से 45 और मुख्यालय से 161 किमी की दूरी पर कमलापुर गांव स्थित है। 688 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले गांव में 2227 लोगों की आबादी निवास करती है, लेकिन महिला उत्थान और स्वावलंबन अब भी सपना बना हुआ है। इस इलाके में मलेरिया का प्रकोप 66.04 फीसदी आबादी को प्रभावित करता है, जबकि इंसेफेलाइटिस से 6.7 फीसदी लोग प्रभावित होते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य पेयजल की कोई भी व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर सरकारी योजना और सुविधाएं अब भी नदारद हंै, लेकिन बाबा आमटे की लोकबिरादरी समेत 11 स्वयंसेवी संस्थाएं अपनी सेवाएं दे रही हैं। हेमलकसा और भामरागढ़ में लोकबिरादरी प्रकल्प ही अब भी स्वास्थ्य सेवा को संभाले हुए हैं।

Created On :   5 Jan 2023 8:24 PM IST

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