रंग ला रही लुप्तप्राय पक्षी सारस को बचाने की पहल, कार्पोरेट कंपनी के अभियान का असर

डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। दुनियाभर में वन्यजीवों और इंसानों के बीच टकराव के बीच गुजरात के खेड़ा जिले में ग्रामीणों और सारस पक्षी के बीच सौहार्दपूर्ण सहजीवन एक मिसाल बन रहा है। यूपीएल नाम की कॉर्पोरेट कंपनी ने ग्रामीणों, विद्यालय और वन विभाग, गीर फाउंडेशन ने साथ मिलकर हालात बदले और इलाके में तेजी से घट रही सारस पक्षियों की संख्या पांच साल बढ़कर करीब दो गुनी हो गई। पांच साल पहले इस इलाके में सारस पक्षियों की संख्या घटकर करीब 500 रह गई थी लेकिन सतत प्रयासों के चलते अब 992 हो गई है। दरअसल सारस पक्षी धान के खेतों में अपना घोसला बनाते हैं जिससे फसलों को नुकसान होता है। इसलिए किसान उनसे शत्रुवत व्यवहार करने लगे थे। लेकिन यूबीएल ने वन विभाग और पर्यावरणविदों के साथ मिलकर लोगों के बीच जागरूता अभियान चलाया और सारस पक्षियों के खत्म होने पर प्रकृति को होने वाले नुकसान की जानकारी दी। इसके बाद लोगों ने इस पक्षियों को खेतों से भगाने के बजाय उनका ध्यान रखना शुरू कर दिया।
अब इलाके के 40 गांवों में 88 ग्रामीण सारस सुरक्षा समूह कार्यरत हैं। सारस पक्षी को बचाने के लिए तैयार समूहों में ग्रामीण, विद्यार्थी, वनकर्मी, पर्यावरण प्रेमी शामिल हैं। इस योजना के तहत 23 हजार विद्यार्थियों और 5 हजार ग्रामीणों को सारस को बचाने से होने वाले लाभ को लेकर जागरूक किया गया है। पतंगबाजी गुजरात के लोगों का पसंदीदा शौक है लेकिन मांझों से सारस पक्षियों के घायल होने और मारे जाने की घटनाओं के मद्देनजर बच्चों ने पतंगबाजी बंद कर दी है। भारतीय सारस दुनिया के सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षी हैं और आर्द्र भूमि (वेट लैंड) इनका प्राकृतिक आवास है। लेकिन आर्द्र भूमि लगातार घट रही है जिसके चलते इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर संस्थान ने इन्हें रेड लिस्ट में रखा है और वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत सारस पक्षी शेड्यूल एक में ये शामिल किए गए हैं ताकि इनका संरक्षण किया जा सके। सारस पक्षियों के लिए गुजरात के खेड में तैयार मॉडल एक उदाहरण बन गया है। यूपीएल के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी हेड, ऋषि पठानिया के कहा कि यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों और संस्थाओं के साथ मिलकर किसी लुप्त हो रही प्रजाति की आबादी को बचाने और संरक्षित करने का एक सफल उदाहरण है। आर्द्र भूमि और इसके आसपास के जीवों का संरक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है।
यूपीएल के सारस संरक्षण परियोजना प्रमुख डॉ जतिंदर कौर ने कहा कि हमें खुशी है कि सामूहिक प्रयास के बल पर हम सारस के संरक्षण और संवर्धन में कामयाब रहे। इसी तरह के सामुदायिक प्रयासों से दूसरी विलुप्त रो रही प्रजातियों का भी संरक्षण किया जा सकता है। खेड़ा के सहायक संरक्षण अधिकारी दिलीप सिंह डाभी ने कहा कि यूपीएल के साथ मिलकर यह परियोजना आगे भी जारी रहेगी। क्योंकि इसी तरह मिल जुलकर ही वन्य जीवों और उनके प्राकृतिक निवास भविष्य की पीढ़ी के लिए संरक्षित किए जा सकते हैं। सारस के संरक्षण के लिए बनाए गए समूह से जुड़े गिरीशभाई परमार ने कहा कि इस परियोजना से सिर्फ सारस पक्षी ही नहीं उसके आसपास विकसित होने वाले पूरे पर्वावरणचक्र को बचाने में कामयाबी मिल रही है। इस संयुक्त परियोजना में स्थानीय लोगों, सरकार, एनजीओ, यूबीएल सबका सक्रिय योगदान है और इसी के चलते ना केवल सारस संरक्षित हुए बल्कि साथ-साथ यहां के पर्यावरण को भी एक नया जीवनदान मिला।
Created On :   26 Feb 2023 9:16 PM IST