बाढ़ पर काबू पाने मुख्यमंत्री ने नदियों से बालू - कीचड़ निकालने के लिए वैज्ञानिक तकनीक के इस्तेमाल के दिए निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के कई इलाकों में बार-बार आ रही बाढ़ पर काबू पाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जल संसाधन विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह नदियों से बालू और कीचड़ निकालने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करे। शिंदे ने कहा कि कीचड़ न निकाले जाने से नदियां उथली हो गईं हैं। नदियों की गहराई और चौड़ाई बढ़ाने से उसका प्रवाह पूर्ववत हो जाएगा और बाढ़ के मामलों में कमी आएगी। उन्होंने जलसंसाधन विभाग को निर्देश दिए कि इस परेशानी का स्थायी हल निकाला जाए। शिंदे बुधवार को मंत्रालय के समिति कक्ष में आला अधिकारियों के साथ राज्य के गढचिरोली, वर्धा, यवतमाल और चंद्रपुर जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों के हालात का जायजा लेने के लिए एक बैठक की। इस बैठक में उपरोक्त चारों जिलों के जिलाधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया और इलाके में चल रहे राहत और बचाव के काम की जानकारी दी। बैठक में मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव भूषण गगराणी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए स्थानीय प्रशासन सक्रिय है। साथ ही मैं रोज हालात का जायजा ले रहा हूं। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को उन्होंने निर्देश दिए कि जल स्तर गिरने के बाद बीमारियां फैलने से रोकने के लिए एहतियाती उपाय किए जाएं। शिंदे ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाढ़ के चलते जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को तुरंत आर्थिक मदद दी जाए साथ ही जख्मियों के इलाज की भी व्यवस्था की जाए। जिन इलाकों में खेती को नुकसान हुआ है उसका पंचनामा कर तुरंत राज्य सरकार के पास भेजा जाए और बाढ़ प्रभावित सभी लोगों को मदद दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान हुई 109 मौतों में से 60 फीसदी लोगों ने आकाशीय बिजली के चपेट में आने के चलते जान गंवाई है इसलिए इससे बचान के भी उपाय किए जाएं।
चंद्रपुर में 2600 को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया
चंद्रपुर जिले में वर्धा नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने चंद्रपुर, वरोरा और भद्रावती तालुका के 2 हजार 600 नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। वर्धा नदी के किनारे रह रहे लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक ले जाने के लिए सेना, एनडीआरएफ का एक एक दल, एसडीआरएफ की दो टीमें और स्थानीय प्रशासन की टीमें जुटी हुईं हैं। नागपुर जिले के गढचिरोली में फिलहाल बाढ़ के हालात नियंत्रण में आ गए हैं लेकिन जिले की वैनगंगा नदी का जलस्तर अब भी खतरे के निशान से ऊपर है। वर्धा, प्राणहिता और इंद्रावती नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं इसलिए इन नदियों के किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। एहतियातन जिले में एसडीआरएफ की एक टीम तैनात कर दी गई है। वर्धा जिले के हिंगणघाट, समुद्रपूर, सेलू और देवली में भारी बरसात के चलते कई लोग बाढ़ में फंस गए थे। अब तक इन इलाकों से 397 लोगों को सुरक्षित निकालकर 10 राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है। यवतमाल जिले में जून से अब तक 110 राजस्व मंजलों में से 95 में अतिवृष्टि हुई है। इसलिए जिले में नागपुर से एसडीआरएफ की टीम भेजी गई है। यवतमाल जिले में तैनात चार टीमों और तालुका प्रशासन ने अब तक 2 हजार 247 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। कोंकण विभाग के रत्नागिरी जिले में फिलहाल बाढ़ से राहत है लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर मुंबई-गोवा हाइवे पर स्थित परशुराम घाट से 30 जुलाई 2022 तक भारी वाहनों को एक तरफ से सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक जबकि दूसरी ओर से शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक ही आवाजाही की इजाजत है।
लगातार बरसात से भारी नुकसान
राज्य में बाढ़ और बरसात से 28 जिलों के 289 गांव प्रभावित हुए हैं। बाढ़ प्रभावितों के लिए सरकार ने 83 राहत केंद्र बनाए हैं जिनमें अब तक 14 हजार 480 लोगों को सुरक्षित पहुंचाया जा चुका है। बाढ़ के चलते राज्य में अब तक 109 नागरिकों और 189 जानवरों की जान जा चुकी है। इसके अलावा बाढ़ की चपेट में आने से 44 घर पूरी तरह जबकि 2086 घर आंशिक रुप से गिर चुके हैं।
Created On :   20 July 2022 9:11 PM IST