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सीएए का विरोध करनेवाले विद्यार्थियों को नक्सलियों से बचाने इंटेलिजेंस की खास नजर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (एनआरसी) को लेकर मुंबई समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इसी बीच खुफिया एजेंसियों को डर सताने लगा है कि इस विरोध प्रदर्शनों में आने वाले विद्यार्थियों को नक्सली और माओवादी संगठन अपनी विचारधारा से जोड़ने की कोशिश कर सकते हैं। इसी के चलते मुंबई में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर खुफिया विभाग की भी खास नजर है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि नक्सलियों और माओवादी संगठनों से जुड़े लोगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
आशंका इस बात की है कि विद्यार्थियों की नाराजगी का फायदा उठाकर इन संगठनों से जुड़े लोग उन्हें अपने साथ जोड़ेंगे और आगे चलकर उन्हें अपनी कट्टरपंथी और हिंसक विचारधारा का हिस्सा बना लेंगे। पुलिस पहले ही शहरी इलाकों में काम कर रहे कई नक्सली समर्थकों पर शिकंजा कस चुकी है। पुलिस का दावा है कि भीमा-कोरेगांव मामले में हिंसा फैलाने में शहरी नक्सलवादियों (अर्बन नक्सल) का हाथ था। हालांकि अदालत में अभी इन आरोपों का साबित होना बाकी है। लेकिन पुलिस का दावा है कि नक्सलियों के लिए अब जंगलों में काम करना मुश्किल होता जा रहा है इसीलिए वे शहरों में अपने समर्थकों को बढ़ाना चाहते हैं जिससे यह लड़ाई जंगलों से निकलकर शहरों में लड़ी जा सके।
खुफिया एजेंसियों को डर है कि अगर नक्सली और माओवादी अपने इरादों में सफल हो गए तो कानून व्यवस्था के लिए बड़ी समस्या बन सकते हैं। इसीलिए पुलिस इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों पर पैनी नजर रखे हुए है। बता दें कि साल 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाडी गांव से भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने भूमिगत होकर सरकार के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन की शुरूआत की थी। फिलहाल नक्सली पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, झारखंड, बिहार, आंध्रप्रदेश जैसे कई राज्यों में फैले हुए हैं। कई इलाकों में नक्सली समानांतर सरकार चलाते हैं।
Created On :   22 Dec 2019 2:17 PM IST