दत्तक से जुड़े मामले जिलाधिकारी के स्थानांतरिक करने के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक 

Interim stay on the order of the District Magistrate to transfer cases related to adoption
दत्तक से जुड़े मामले जिलाधिकारी के स्थानांतरिक करने के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक 
बांबे हाईकोर्ट दत्तक से जुड़े मामले जिलाधिकारी के स्थानांतरिक करने के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दत्तक यानी गोद लेने से जुड़े मामले देखने के लिए जिलाधिकारी (डीएम) को प्रधिकृत किए जाने को लेकर राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि गोद लेने से जुड़े मामलों को जिलाधिकारी के पास न भेजा जाए। पहले इन मामलों को देखने के जिम्मा न्यायपालिका के पास था। किंतु राज्य के महिला व बाल विकास विभाग की ओर से जारी आदेश के बाद दत्तक से जुड़े मामले को देखने के लिए जिलाधिकारी को प्रधिकृत कर दिया गया है। इसके लिए किशोर न्याय कानून 2015 में साल 2021 में संसोधन भी किया गया है। याचिका में दत्तक से जुड़े मामले जिलाधिकारी को स्थनांतरित करने से जुड़े महिला व बाल विकास विभाग के आयुक्त की ओर से जारी निर्देश पर भी आपत्ति जताई गई है और इस पर रोक लगाने का भी निवेदन किया गया है। कांदिवाली निवासी निशा पांडे ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के मुताबिक साल 2021 में कानून में संसोधन करके कोर्ट शब्द को हटा कर डिस्ट्रीक मैजिस्ट्रेट (जिलाधिकारी)  कर दिया गया है। इसलिए अब कोर्ट की बजाय जिलाधिकारी को दत्तक से जुड़े मामलों को देखने के लिए प्रधिकृत कर दिया गया है।
 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि जब तक इस मामले की याचिका का निपटारा नहीं हो जाता है। तब तक संबंधित कोर्ट दत्तक से जुड़े मामले में अपना आदेश दे सकती है। इस दौरान खंडपीठ ने 30 सितंबर 2022 को राज्य सरकार के महिला व बाल विकास विभाग की ओर से सभी अदालतों को जारी किए गए पत्र पर रोक लगा दी। 

याचिका के मुताबिक कोर्ट को दत्तक से जुड़े मामले सौपने का मुख्य उद्देश्य यह था कि दत्तक से जुड़ी सारी कानूनी प्रक्रिया का  पालन अदालत की निगरानी में हो। याचिका में कहा गया है कि दत्तक से जुड़े मामले जिलाधिकारी को सौपने से जुड़ा फैसला पूरी तरह से अतार्किक है। याचिका में दावा किया गया है कि जिला प्रशासन को दत्तक से जुड़े मामले से सौपने से इसके निपटारे में विलंब होगा जिससे गोद लेने के इच्छुक अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। याचिका में इस मुद्दे को लेकर संसदीय कमेटी की 8 अगस्त 2022 की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है। कमेटी के मुताबिक न्यायाधीश के पास यह परखने का कौशल होता है कि दत्तक बच्चे के कल्याण के लिए हो रहा है कि नहीं। 
 

Created On :   11 Jan 2023 9:31 PM IST

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