इजरायल की तकनीक से संतरा उत्पादन तीन गुना बढ़ा

Israeli production increased three times with Israeli technology
इजरायल की तकनीक से संतरा उत्पादन तीन गुना बढ़ा
इजरायल की तकनीक से संतरा उत्पादन तीन गुना बढ़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश-दुनिया में संतरा उत्पादन के लिए मशहूर नागपुर सहित पूरे विदर्भ की तस्वीर अब बदलने लगी है। मौसम की मार से पस्त संतरा किसानों को इजरायल के तकनीक की खुराक मिली है। यहां के किसानों की सूझबूझ से संतरा उत्पादन में विदेशियों को भी मात दी जा रही है। अमरावती रोड स्थित संतरा गुणवत्ता केंद्र के दावों पर गौर करें तो इजरायल की तकनीक का असर सीधे तौर पर उत्पादन पर पड़ा है। अब तीन गुना ज्यादा उत्पादन होने लगा है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने लगा है। बागवानी विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो जानकारी के अभाव में पहले यहां के किसान सस्ते पौधों में संतरे का कलम बांध देते थे। इसी से पेड़ तैयार करते थे। पेड़ तो तैयार हो जाते थे, परंतु उत्पादन अपेक्षा से काफी कम होता था। सबसे पहले कलम बांधने को लेकर विशेषज्ञों ने किसानों को प्रशिक्षित किया। पेड़ लगाने के तरीके को भी बदला। किसानों को एक-एक तरीके को बताया गया। कहा गया कि जंबेरी व रंगपुर लाइम प्रजाति के ही पौधों में कलम बांधनी चाहिए। साथ ही, पेड़ों को जमीन से तीन मीटर की ऊंचाई पर रखना चाहिए। कम जगह में ज्यादा पौधे कैसे लगाए जाएं, इसको लेकर भी किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इसके अलावा, मिट्टी का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए मिट्टी तैयार करने से लेकर पौधों की देखभाल तक की जानकारी दी गई।

विदेशों की तुलना में आधा उत्पादन भी नहीं था पहले 

संतरा गुणवत्ता केंद्र के विशेषज्ञों ने बताया कि इजरायल से भारत का कृषि करार वर्षों पहले हुआ था। इसी करार के तहत संतरा उत्पादन बढ़ाने की तकनीक भी अपने देश आई। पहले तो इजरायल के इस खास तकनीक को लेकर किसान उदासीन बने रहे, पर अब ऐसा नहीं है। किसानों ने बागवानी विभाग के विशेषज्ञों से बात की और उसी तकनीक को अपनाया। जानकार बताते हैं कि अपने देश में अच्छी बारिश के बावजूद संतरे का उत्पादन अच्छा नहीं होता था। जबकि विदेशों में यहां की अपेक्षा काफी कम बारिश होती है। फिर भी संतरा उत्पादन में तमाम अन्य देश नाम कमाते हैं। बागवानी विभाग की मानें तो विदेशों में एक हेक्टेयर में 20-25 टन संतरा उत्पादन का खुलासा काफी पहले हुआ था। तब यहां के किसान एक हेक्टेयर में मात्र 10 टन ही उत्पादन करते थे। अब तस्वीर बदली है। विदेशियों को पीछे छोड़ते हुए नागपुर सहित विदर्भ के किसान एक हेक्टेयर में 40 टन संतरे का उत्पादन कर रहे हैं।


प्राध्यापक व विभाग प्रमुख डॉ. रमाकांत गजभिये के मुताबिक पहले संतरे का उत्पादन विदर्भ में एक हेक्टेयर में 10 टन तक ही था। वहीं विदेशों में 25 टन तक उत्पादन होता था। इजरायल की तनकीक का इस्तेमाल कर अभी विदर्भ में कई किसानों ने एक हेक्टेयर में 30 से 35 टन तक संतरा उत्पादन किया है। कुछ इलाकों में तो उत्पादन का यह आंकड़ा 40 टन तक है। इस काम में संतरा गुणवत्ता केन्द्र के प्रकल्प प्रमुख डॉ. पंचभाई का महत्वपूर्ण योगदान है।
                         

किसान अनिल श्रीरामजी लेकुरवाले के मुताबिक उनके पास लगभग 50 एकड़ खेती है। इसमें पिछले 40 साल से संतरा की खेती कर रहा हूं। पहले उत्पादन काफी कम होता था। तब जाकर इजरायल की तकनीक की जानकारी मिली। अब हमारा उत्पादन चार गुना तक बढ़ गया है। 

किसान मनोज जंवजाड के मुताबिक इजरायल पद्धति का इस्तेमाल कर संतरा उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है। अब एक हेक्टेयर में करीब 25-30 टन उत्पादन हो रहा है। मेरी सलाह है कि हर संतरा उत्पादक को इस नई तकनीक को अपनाना चाहिए।

 

 

Created On :   19 Feb 2020 8:18 AM GMT

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