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सीजेरियन प्रसव का फीसदी तय करना गलत है : डॉ.टांक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। 10 से 15 फीसदी प्रसव में ही सीजेरियन होना चाहिए ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं है, यह तो लोगों में नासमझ है। सीजेरियन की गाइडलाइन को लेकर मामला न्यायालय में गया था जिसमें स्पष्ट कर दिया गया कि सीजेरियन क्यों किया गया है इसे लेकर गाइडलाइन नहीं हो सकती है । डॉक्टर की जगह आप तय नहीं कर सकते कि सीजेरियन होना चाहिए या नहीं। यह बात मुंबई के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ व फॉग्सी के महासचिव डॉ.जयदीप टांक ने कही। वह शनिवार को नागपुर ऑब्सटेट्रिक और गायनाक्लॉजीकल सोसायटी के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय मास्टर क्लास इंटर्फिटिलिटी-4 के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर कांफ्रेंस के कन्वेनर डॉ.अनिल श्रीखंडे, ऑर्गनाजर चेयरपर्सन डॉ.लक्ष्मी श्रीखंडे, सोसायटी की अध्यक्ष डॉ.प्रियंका कांबले, सचिव डॉ.क्षमा केदार उपस्थित थीं।
डॉ.टांक ने कहा कि सीजेरियन कम हो इसे लेकर बात करते है लेकिन बच्चों में होने वाली समस्याओं पर आम लोगों का ध्यान नहीं जाता है। यही वजह है कि मान्य किया है कि सीजेरियन के रेट पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जहां मामले बिगड़ते हैं और एकमात्र सीजेरियन का अस्पताल है वहां तो निश्चित रूप से सीजेरियन होगा। सरकार के आंकड़ों के अनुसार 14 फीसदी सीजेरियन निजी अस्पताल में होते हैं। यदि नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अधिक सीजेरियन होते हैं तो उसके रेट को लेकर सवाल करने की जरुरत नहीं है क्योंकि यहां वही मामले आते हैं जो प्राथिमक औ सेकेंडरी सेंटर पर जो मामले नहीं संभलते हैं वो यहां आते है ऐसे में टर्सरी सेंटर का काम ही यही है, सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाना। कुछ महिलाएं खुद से तय करती है कि वह सीजेरियन ही करवाना चाहती है उन आंकड़ों को भी इसी में शामिल किया जाता है।
सामाजिकस्तर पर ध्यान की जरुरत
बीड़ जिले के एक गांव में महिलाओं का गर्भाश्य निकालने के मामले में डॉ.टांक ने कहा कि वह महिलाओं द्वारा खुद से तय किया था जिसमें डॉक्टरों को टारगेट करना सही नहीं है। हमें सामाजिकस्तर पर ध्यान देने की जरुरत है, वह सभी महिलाएं खेत में फसल कटाई का काम करती थी। माहवारी के दौरान सामाजिकता के चलते उनको काम करने की अनुमति नहीं मिलती थी चूंकि फसल कटाई के दौरान 4-5 दिन घर पर रहना उनके लिए आर्थिक नुकसान है। हम लोगों में मामले को लेकर जागरुकता करेंगे।
Created On :   11 Jan 2020 4:26 PM IST