जम्मू-कश्मीरी छात्राओं को पसंद आया महाराष्ट्र का कल्चर

Jammu and Kashmir girls like Maharashtra culture
जम्मू-कश्मीरी छात्राओं को पसंद आया महाराष्ट्र का कल्चर
जम्मू-कश्मीरी छात्राओं को पसंद आया महाराष्ट्र का कल्चर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। घर पर रहकर शिक्षा लेने से सिर्फ किताबी ज्ञान मिलता है, असली दुनियादारी का पता घर के बाहर निकलने पर ही चलता है। यह बात जम्मू-कश्मीर से नागपुर पहुंची छात्राओं ने कही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा भारती की ओर से संचालित जम्मू स्थित छात्रावास की 24 बालिकाएं दशहरा पर नागपुर प्रवास के लिए आईं थीं।

सेवा भारती जम्मू-कश्मीर द्वारा जम्मू के पौनी चौक में संचालित दृष्टि बालिका छात्रावास की छात्रा बारामुला के शेखीपुरा निवासी अजरत जान (13), जम्मू के कठुआ निवासी रितू देवी (15), लद्दाख के लेह निवासी छीतन डोरमा (13) को महाराष्ट्रीयन कल्चर खूब पसंद आ रहा है। इन छात्राओं ने धंतोली स्थित देवी अहिल्या मंदिर में  कहा कि हम जब घर से बाहर निकले तो हमें ध्यान में आया कि, असल दुनिया कुछ और ही है, जहां हमारे पास पढ़ने के कई अवसर हैं। घर पर स्कूल तो थी, लेकिन पढ़ाई सिर्फ नाम के लिए होती थी। इतना ही नहीं, जब हम जून-जुलाई की छुट्टियों में घर जाते हैं, तो हमें ध्यान में आता है कि, हमारी सहेलियों को सामान्य ज्ञान की जानकारी भी नहीं है।

उन्होंने बताया कि, प्रवास के दौरान वह नागपुर में दो-दो के समूह में घरों में रहे, जहां दशहरा पर सोने के पत्ते देने का रिवाज उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने महाराष्ट्रीयन खाने की काफी तारीफ की, विशेषकर पूरन पूड़ी की। सभी के अपने-अपने सपने हैं कोई भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) बनना चाहता है, कोई फौज में जाना चाहता है, तो कोई फैशन डिजायनिंग में अपना कैरियर बनाना चाहता हैं। विशेष बात यह है कि, कश्मीरी, लद्दाखी लोग डोंगरी ही बोलते थे, लेकिन अब वह हिंदी के साथ अंगरेजी भी बोलने लगे हैं और उन्हें 11 भाषाओं में गीत आते हैं।

जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर के डॉ. ए.के. रैना ने बताया कि, सेवा भारती की ओर से बालिका और बालकों के लिए पृथक छात्रावास चलाए जाते हैं। इसमें चार वर्ग के बच्चों को लिया जाता है। इसमें बार्डर से लगे क्षेत्र, गरीब, अनाथ व कोल्डबस्ट से प्रभावित बच्चों को लिया जाता है।

छात्रावास संचालन के लिए 40 गांवों को जोड़ रखा है, जो हर दिन एक मुट्ठी अन्न देते हैं। 10 लोगों की टीम इसका संकलन करती है, जिससे संचालन होता है। हमारे द्वारा उन गांवों में स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। यह जानकारी देते समय पंकज कोठारी, पूनम गुप्ता एवं अनिल भारद्वाज उपस्थित थे।

Created On :   3 Oct 2017 5:30 PM IST

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