दुर्घटना में मृत आशा सेविका के बेटे को दी जाए नौकरी

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. आशा सेविकाओं ने अपनी जान को जोखीम में डालकर कई ऐसे कार्य किए हैं। इन कार्य को पुरा करते समय अनेकों की जान भी चली गई है। लेकिन शासन की ओर से उन्हें कुछ भी नहीं मिलता। अर्जुनी मोरगांव तहसील की बोडदे-कवठा निवासी आशा सेविका नमिता चरणदास ताराम यह महिला गांव की ही गर्भवती महिला को प्रसूति के लिए भंडारा के एक अस्पताल में भरती कराने पहुंची थी। घर लौटते समय नमिता की मृत्यु दुर्घटना में हो गई। घटना 15 जुलाई को घटित हुई थी। जिसे लेकर आशा सेविका संगठन ने मांग रखी कि मृतक के बेटे को सरकारी सेवा में लिया जाए। क्योकि मृतक आशा नमिता के घर में कोई भी कमाने वाला नहीं है। पीड़ित परिवार का आर्थिक आधार नमिता ही थी। अब यह परिवार आर्थिक आधार से निराधार हो गया है।
इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि आशा सेविकाओं को स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। अंतिम छोर के व्यक्तियों को आशा सेविकाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा दी जाती है। कोविड-19 में तो आशा सेविकाओं ने जो काम किया है। वह काफी सराहनीय है। कोविड में काम करते समय अनेक सेविकाएं संक्रमित होकर उनकी जान तक चली गई है। लेकिन शासन की ओर से पीड़ितों के परिवारों को सरकारी सेवा में नहीं लिया जाता है। बताया गया है कि नमिता ताराम आशा सेविका पद पर कार्यरत थी। पति चरणदास ताराम गंभीर बीमारी से पीड़ित हाेने से वह काम नहीं कर पाता। परिवार में दीपक नामक बेटा है। परिवार की जिम्मेदारी आशा सेविका नमिता पर ही थी, लेकिन नमिता की गर्भवती महिला को स्वास्थ्य सेवा देकर घर लौटते समय दुर्घटना में मृत्यु हो गई। जिस कारण पीड़ित परिवार का आर्थिक आधार छीन गया है। अब उनके परिवार में कोई भी कमाने वाला नहीं है। जिसे देखते हुए आशा सेविका संगठन ने शासन से मांग की है कि मृतक नमिता के बेटे दीपक को सरकारी सेवा में शामिल किया जाए।
शासन से मदद दिलाने का प्रयास
यशवंत गणवीर, जिप उपाध्यक्ष के मुताबिक उपरोक्त दुर्घटना में नमिता ताराम की मृत्यु हो गई। वह एनआरएचएम के तहत आशा सेविका के पद पर कार्यरत थी। पीड़ित परिवार से भेंट की है। वहीं शासन से मदद दिलाई जाएगी।
Created On :   18 July 2022 6:47 PM IST