जंगल हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण, कोर्ट ने कहा- संवेदनशीलता बरतना जरूरी

Jungle are very important for our survival : Bombay High Court
जंगल हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण, कोर्ट ने कहा- संवेदनशीलता बरतना जरूरी
जंगल हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण, कोर्ट ने कहा- संवेदनशीलता बरतना जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विकास के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने चिंता जाहिर की है। सागौन की चोरी से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस. बी. शुक्रे और न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला की बेंच ने कहा है कि जिस तेजी से हमारी प्रकृति नष्ट हो रही है, इसे देखते हुए एक पेड़, पौधे, जंगल की हर चेतन और अवचेतन वस्तु को कानून के तहत संरक्षित किया जाना जरूरी हो गया है। ऐसे में वन संपदा के दुरुपयोग से जुड़े मामलों पर गंभीरता जरूरी है। जंगल हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक में इनका महत्व कायम है। इसलिए अंग्रेजों ने अपने शासन काल में फॉरेस्ट एक्ट 1927 गठित किया था। जंगल और प्राकृतिक संपदा के नष्ट होने का बुरा प्रभाव मानवी सभ्यता पर भी पड़ता है। इसी को कम करने के लिए एक निरंतर विकास, जल संवर्धन, कार्बन कैप्चर, पॉलूटर्स पे और कंजरवेशन ऑफ बायो रिसोर्स जैसी उपाय योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसे में जंगल के अनावश्यक दोहन पर लगाम कसने की जरूरत है। 

यह था प्रकरण 
याचिकाकर्ता सईद नबी का अकोला में फर्नीचर का व्यवसाय है। मामला वर्ष 2008 का है। उन्होंने वन विभाग से अनुमति ली और सावरगांव के लच्छू राठौड के खेत से 119 सागौन के लट्ठे खरीदें, इसी तरह अन्य डीपो से 139 सागौन के लट्ठे और खरीदें। 29 दिसंबर 2008 इनमें से 52 लट्ठों को मार्शल जीप में डाल कर पातूर ले जाया जा रहा था। वन विभाग के अधिकारियों ने उनकी मार्शल जीप और आयकॉन कार को रोका। रेंज ऑफिसर की रिपोर्ट के आधार पर नबी, उनके ड्राइवर कादिर वजिर और बढ़ई महेंद्र माडिपाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। वन विभाग ने उन्हें नोटिस भी जारी किया। जेएमएफसी कोर्ट मंे आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। इधर वन विभाग ने अपनी कार्रवाई जारी रखी और असिस्टेंट फॉरेस्ट ऑफिसर ने 52 लट्ठे और वाहन जप्त करने का आदेश जारी किया। जिसे याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी। सत्र न्यायालय से अर्जी खारिज होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर लट्ठे और मार्शल वाहन जप्ती का फैसला कायम रखा, बस आयकॉन कार याचिकाकर्ता को लौटाने के आदेश दिए। 
 

Created On :   8 May 2019 1:05 PM IST

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