पैसे की कमी अदालतों को बुनियादी सुविधाएं न देने का आधार नहीं : हाईकोर्ट

Lack of money is not the basis for not giving basic amenities to the courts
पैसे की कमी अदालतों को बुनियादी सुविधाएं न देने का आधार नहीं : हाईकोर्ट
पैसे की कमी अदालतों को बुनियादी सुविधाएं न देने का आधार नहीं : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई की डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) के लिए जगह उपलब्ध कराने के संबंध में दिए गए आदेश का पालन न करने के लिए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। प्रसंगवश बेंच ने सरकार को अपने एक फैसले की याद दिलाते हुए कहा कि सरकार पैसे की कमी को अदालत को बुनियादि सुविधाएं न देने का आधार नहीं बना सकती है। 

हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2018 को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह डीआरटी के कामकामज के लिए उपयुक्त जगह उपलब्ध कराए, लेकिन सोमवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच ने पाया कि सरकार ने अब तक डीआरटी को जगह नहीं उपलब्ध कराई है। इसके साथ ही उन्होंने पाया कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने अदालत के आदेश को गलत तरीके से समझा है। बेंच ने कहा कि सरकारी अधिकारियों का अदालत के आदेश को गलत तरीके से समझना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

बेंच ने कहा कि हमने अपने आदेश में कही नहीं कहा है कि फोर्ट स्थित एमटीएनएल की इमारत में डीआरटी को जगह न दी जाए, लेकिन अधिकारियों ने अदालत के आदेश को गलत तरीके से समझा और जमीन आवंटित करने की दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाए। यहीं नहीं सरकार की ओर से डीआरटी को जमीन के लिए जरुरी निधी भी नहीं उपलब्ध कराई गई है। 

बेंच ने कहा कि हमारी चिंता सिर्फ डीआरटी के अस्तित्व व कामकाज से जुड़ी है। इसलिए हमे बताया जाए अदालत के आदेश का पालन न होने के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनको हमारे समाने पेश किया जाए। हम उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करेगे। गौरतलब है कि डीआरटी में मुख्य रुप से कर्ज वसूली, बैंक, व वित्तीय संस्थानों व उनसे जुड़े ग्राहकों के मामले चलते है। डीआरटी पिछले एक महीने से बंद है। दो महीने पहले लगी आग के चलते डीआरटी को बंद किया गया था।

 

 

Created On :   13 Aug 2018 2:39 PM GMT

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