कृषि कानूनों को वापस लेने विधानसभा अध्यक्ष पटोले ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

Legislative Speaker Patole wrote letter to Prime Minister to withdraw agricultural laws
कृषि कानूनों को वापस लेने विधानसभा अध्यक्ष पटोले ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
कृषि कानूनों को वापस लेने विधानसभा अध्यक्ष पटोले ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। बुधवार को पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार दिया है। पटोले ने प्रधानमंत्री से बिना विलंब किसान विरोधी काले कानून को वापस लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री कृषि कानूनों को वापस नहीं लेते हैं तो मुझे एक संवैधानिक पद पर आसीन होने के बावजूद किसान होने के नाते अन्नदाता की लड़ाई में शामिल होना पड़ेगा। पटोले ने कहा कि मैं भी किसान हूं। देश में किसानों का जो आंदोलन चल रहा है वह बिल्कुल योग्य है। यह कोई आत्मसम्मान की लड़ाई नहीं है बल्कि देश के अन्नदाता के अधिकार की लड़ाई है। इसलिए देश भर के अन्नदाता दिल्ली की ठंड और कोरोना महामारी के बावजूद करोड़ों की संख्या में आंदोलन में शामिल हुए हैं। इसलिए मुझे आपसे उम्मीद है कि किसानों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आप किसान विरोधी काला कानून वापस लेंगे। 

प्रदेश में 30 नए कपास खरीद केंद्र, 11 केंद्रों पर खरीद शुरू    

प्रदेश में विपणन महासंघ की ओर से कपास खरीदी के लिए नए 30 खरीद केंद्र शुरू करने की तैयारी है। जिसमें से 11 कपास खरीद केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हो चुकी है। इनमें नागपुर, वणी, यवतमाल, अकोला, खामगाव, औरंगाबाद, परभणी, परली, नांदेड़ और जलगांव के खरीद केंद्र का समावेश है। बुधवार को प्रदेश के विपणन मंत्री बालासाहब पाटील ने यह जानकारी दी। पाटील ने बाकी के कपास खरीद केंद्रों को तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक कपास विपणन महासंघ और भारतीय कपास भारतीय कपास निगम लिमिटेड के माध्यम से 113 कपास खरीद केंद्रों पर 1 लाख 12 हजार 574 किसानों का 30.86 लाख क्विंटल कपास खरीदा जा चुका है। पाटील ने कहा कि कपास खरीदी के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पंजीयन के लिए एक एप विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि 2020-21 के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीदी और किसानों को भुगतान, कपास की बुवाई के लिए सातबारा की जांच, बैंक खाते की जानकारी और आधार कार्ड से पहचान सुनिश्चित करने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में खरीद केंद्र एप का इस्तेमाल करें। इसके लिए हर जिले के एक केंद्र को चिन्हित किया जाए।  

किसान संगठनों ने खारिज किया केन्द्र का प्रस्ताव

उधर नई दिल्ली में नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन और जोर पकड़ता जा रहा है। किसान संगठनों ने सरकार की ओर से दिए गए संशोधन के लिखित प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया है। किसान संगठनों ने तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून लाने की अपनी मांग दोहराते हुए आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है। 14 दिसंबर को किसान पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

अंबानी-अडाणी के उत्पादों का करेंगे बहिष्कार 

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने धरना-प्रदर्शन बढ़ाने और देश भर में अंबानी और अडाणी के उत्पादों का बहिष्कार करने की घोषणा की। यह भी तय किया गया है कि रोजाना भाजपा के मंत्रियों का घेराव किया जाएगा। अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसान 12 दिसंबर को देश के सभी टोल प्लाजा जाम करेंगे और इसी दिन दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को बंद करेंगे। दर्शन पाल ने बताया कि 14 दिसंबर को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।

मोदी सरकार का रवैया हेकड़ी भरा : योगेन्द्र

स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव ने कहा है कि किसानों की समस्या को हल करने के प्रति मोदी सरकार का रवैया गैर-गंभीर व हेकड़ी भरा है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विरोध जारी रहेगा। दिल्ली में किसानों की संख्या बढ़ेगी और सभी राज्यों में जिला स्तर पर धरने शुरू होंगे। समिति ने 8 दिसंबर के भारत बंद के दौरान जन भागीदारी को देखते हुए सभी संगठनों व राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस संघर्ष को तेज करने के लिए दिल्ली में किसानों को गोलबंद करें।

किसानों को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का बीते 13 दिनों से दिल्ली की सीमा पर ही आंदोलन चल रहा है। इस मामले से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की है कि प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली के जंतर-मंतर पर कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए विरोध करने की अनुमति दी जाए। साथ ही विरोध और आवागमन के अधिकार में संतुलन बनाए जाने संबंधी दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि किसानों के विरोध के मानवीय और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें बचाने के लिए न्यायालय का सहारा चाहिए। याचिकाकर्ता अधिवक्ता रीपक कंसल का कहना है कि राज्यों ने शांतिपूर्ण विरोध के लिए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी है। याचिका में कोर्ट से दिशा-निर्देश तैयार करने या नागरिकों के किसी अन्य राज्य तक बेरोकटोक पहुंच व आवागमन और विरोध के अधिकार के साथ संतुलन बनाने के लिए कानून बनाने की प्रार्थना की है। इस संदर्भ में कंसल ने कहा कि दूसरी ओर देश के नागरिक है जो दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारियों के एकत्रित होने के कारण पीडित है। इसके अतिरिक्त याचिकाकर्ता ने नागरिकों द्वारा विरोध करने के अधिकार का सम्मान करने के लिए अपने दायित्व को पूरा करने के लिए प्रतिवादी को निर्देश भी मांगा है। गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली के ऋषभ शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली एनसीआर के सीमावर्ती इलाकों के किसानों को इस आधार पर हटाने की मांग की कि किसानों के प्रद र्शन के कारण दिल्ली में कोविड-19 फैलने का खतरा बढ गया है।
 


 

 

 

Created On :   9 Dec 2020 5:06 PM GMT

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