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दृष्टिहीन अमरदीप गांवों में घूम-घूमकर बेच रहा कपड़े

डिजिटल डेस्क, पडोली। मन में कुछ करने की चाह हो तो कोई भी समस्या-परेशानी से निपटा जा सकता है। ऐसे ही एक दृष्टिहीन अमरदिप जुनघरे ने आत्मनिर्भर की एक मिसाल पेश की है। वह परिसर के 10 गांवों में घुमकर कपडे बेचकर अपना व अपने परिवार का जीवनयापन करता है। उसे मोबाईल भी चलाना आता है। चंद्रपुर तहसील अंतर्गत छोटा नागपुर निवासी अमरदीप नरायण जुनघरे बचपन से ही दृष्टीहिन है। अपनी पढाई नागपुर जिले में कर एमएचडब्ल्यू की पढ़ाई की है। कुछ वर्ष पहले मां की कैंसर की बिमारी चलते निधन हो गया था और बुजूर्ग पिता व खुद के जीवनयापन करने के लिए कुछ करने की ठानी। कुछ लोगों ने कहा कि, यह गांव में घुमकर कैसे कपडे-जनरल का बिजनेस कर सकता है, इसे तो दिखता नही है। पर दृष्टीहिन अमरदीप ने हार नही मानी और बैंक से कर्जा लेकर कपडा और जनरल स्टोर का समान लेकर करीब 10-15 गांव में बेचने लगा। त्रिवंजा, विचोडा, जूनी पडोली, यशवंतनगर, सरदार कॉलनी, आमटा, विचोडा खूर्द, लखमापूर, शक्तीनगर, वडगांव तथा आसपास करीब 25 किलो मीटर के गांवों में बिना देखे साइकल पर सामान रखकर पैदल चलकर अपना बिजनेस कर रहा है।
कपड़ा कौन सा और कितने का यह भी बखूबी परख लेता है
यदी कोई ग्राहक कपडा या जनरल का समान लेता है तो हाथो से उसकी कीमत क्या है परख लेता है और रूपया भी बराबर लेता है। ग्राहक चोरी नही करता। अमरदीप जुनघरे ने बताया कि यदी ग्राहकों को सामान दिया तो बराबर रूपए देते है और कोई भी सामान चोरी नही करता।
भीख न मांगें
दृष्टीहिन अमरदीप जुनघरे ने अपने दोस्तो को कहा कि, दृष्टीहिन जो भी है भीख न मांगे अपना बिजनेस करे और आत्मनिर्भर बने।
Created On :   29 Oct 2021 6:17 PM IST