बेटे की हत्या करने वाली मां और उसके आशिक भांजे को आजीवन कारावास
डिजिटल डेस्क, अमलनेर। बेटे को मौत के घाट उतारने वाली मां और उसके आशिक भांजे को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। भांजे के साथ अनैतिक सबंध लड़के ने देख लिए थे, जिसके बाद उसकी उसकी मां और भांजे ने मिलकर बेटे के टुकड़े टुकड़े कर हत्या कर दी। इस मामले में जिला सत्र न्यायालय ने चोपडा तालुका के चहार्डी की मां और उसके भांजे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। चहार्डी के दगडू लोटन पाटिल 2 फरवरी 2019 को उसका पुत्र मंगेश दगडू पाटिल उम्र 13 वर्ष 8 माह यह कहकर घर से निकला था कि वह शौच करने जा रहा है लेकिन वह घर नहीं आया। इसलिए चोपड़ा शहर थाने में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। पांच फरवरी 2019 को कपड़े, चप्पल, शौच का डिब्बा और खून से सने कपड़े, घुटने के नीचे का पैर और बच्चे की हड्डी मिली थी। उस समय, कुछ साधु आए थे और बच्चे की मां गीताबाई दगडू पाटिल (उम्र 35) और उनके भतीजे सांभा उर्फ साधन विलास पाटिल (उम्र 25) ने गुमराह किया कि यह एक मानव बलि है, और पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया।
पहले मामले की जांच छह पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पवार ने की थी.जब पुलिस ने चंप नाम के कुत्ते को बुलाया तो कुत्ते ने उस जगह से रास्ता दिखाया जहां हड्डी गिरी थी उसने गीताबाई के घर तक रास्ता दिखाया. इसलिए पुलिस को शक हुआ। पर क्या माँ ऐसा कर सकती है ? और चूँकि बच्चे के शरीर के अंग नहीं मिले थे, इसलिए निश्चित नहीं था। जांच पुलिस अधीक्षक सौरभ अग्रवाल को सौंपी गई है। जब उसने गीताबाई और साधन से अलग-अलग पूछताछ की और खाकी दिखाई, तो दोनों ने कबूल किया कि 2 फरवरी, 2019 को मंगेश ने गीताबाई और साधन को अनैतिक संबंध बनाते हुए देखा था, और मंगेश ने कहा कि वह यह बात अपने पिता को बताएगा। उसी समय गीताबाई ने डंडे से उनके सिर पर तीन-चार वार किए। वह बेहोश हो गया। रात को गीताबाई समाधन के घर आई। वहां उन दोनों ने मंगेश के कपड़े उतार दिए और कुल्हाड़ी, चाकू और दरांती से उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और बोरे में डालकर ठिकाने लगा दिया। हालांकि दाएं पैर के पंजे का टुकड़ा, पांचवीं पसली की हड्डी और शरीर पर कपड़े घर में ही रखे हुए थे। बाद में उसने टूटे हुए पैर, हड्डियाँ, कपड़े नाले में फेंक दिए और वहाँ कुंकू और कोइता रखकर उसे मानव बलि के रूप में दिखाने की कोशिश की। पुलिस ने गीताबाई और समाधान को 26 तारीख को गिरफ्तार किया था।
मामला जिला सत्र न्यायाधीश पीआर चौधरी की अदालत में विचाराधीन था। सरकारी वकील किशोर बागुल ने 15 गवाहों का परीक्षण कराया। इसमें कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट डॉ. स्वप्निल कालस्कर, डॉ. नीलेश देवराज, कुलदीप पाटिल, जांच अधिकारी योगेश टंडले, डॉग टीम के विनोद चव्हाण को स्वीकार करते हुए गीताबाई और सदनन को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही धारा 201 के तहत सबूत नष्ट करने के आरोप में दो साल की सजा सुनाई है। गिरफ्तार होने के बाद से आरोपी जिला जेल में बंद हैं। आरोपियों पर केवल 300 रुपये का जुर्माना लगाया गया क्योंकि अदालत ने उनके मामले को पेश करने के लिए एक वकील नियुक्त किया था।
Created On :   3 March 2023 9:38 PM IST