युवाओं को तराशने आ रहा है यंग भास्कर, मानद संपादक झगडे ने कहा - यूथ पर केंद्रित साहित्य जरूरी

Literature focused on youth is essential for young generation - Honor Editor, Zagade
युवाओं को तराशने आ रहा है यंग भास्कर, मानद संपादक झगडे ने कहा - यूथ पर केंद्रित साहित्य जरूरी
युवाओं को तराशने आ रहा है यंग भास्कर, मानद संपादक झगडे ने कहा - यूथ पर केंद्रित साहित्य जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बचपन से किशोरावस्था, फिर युवा होती पीढ़ी का भविष्य इस बात से तय होता है कि वे किस प्रकार का साहित्य पढ़कर बड़े हो रहे हैं। ऐसे युवा वर्ग के लिए दैनिक भास्कर अपनी अर्द्धमासिक पत्रिका, "यंग भास्कर" लेकर आया है। जिसमें बच्चों के जीवन से जुड़े कई पहलुओं को पेश किया जाएगा। शुक्रवार को कार्यालय में यंग भास्कर का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में समाज के जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं। विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर ने कहा कि कंप्यूटर और मोबाइल के युग में बच्चों ने साहित्य पढ़ना लगभग छोड़ दिया है। ऐसे में यह हमारा दायित्व है कि हम उनकी रुचि बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि, "मुझे मेरे शिक्षक ने एक बात बताई थी, अपने घर में जगह-जगह किताबें रखें, ताकि बच्चे उन पर नजर डालते रहें, यही मेरा समाज के लिए संदेश है। लेकिन दुख होता है कि अब, जब बच्चे बोलना सीखते हैं, तो उन्हें अंग्रेजी की कविताएं सिखाई जाती हैं। मातृभाषा से जुड़ी कविताएं गायब हैं। यंग भास्कर जैसी पत्रिका, जो भारतीय भाषाओं का मिश्रण है, बच्चों की रचनात्मकता और साहित्य में उनकी रुचि बढ़ाएगी। 

इनकी रही उपस्थिति 
इस मौके पर यंग भास्कर के मानद संपादक और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव पद की जिम्मेदारी संभाल चुके महेश झगडे, विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) के अध्यक्ष विश्राम जामदार, फोटो आर्टिस्ट विवेक रानाडे, शिक्षाविद शरद पाटील, बाल मनोवैज्ञानिक राजा आकाश और एजुकेशन काउंसलर जयश्री शिंदे मुख्य रूप से विशेष अतिथियों के तौर पर उपस्थित थे। 

युवाओं के विचारों को तराशने की जरूरत
यंग भास्कर पत्रिका के मानद संपादक और सामान्य प्रशासन विभाग के सेवानिवृत्त प्रधान सचिव महेश झगडे ने इस मौके पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे युवा देशाें में से एक है। यह दौर चौथी औद्योगिक क्रांति का दौर है और आने वाले कुछ वर्षों में मानवी सभ्यता में इतना बड़ा बदलाव होगा, जो अब तक नहीं हुआ। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि बच्चों को इस बदलाव में सहभागी होने की आज से ही ट्रेनिंग दी जाए। इसके लिए उन्हें बेहतर साहित्य उपलब्ध कराने की जरूरत है। यंग भास्कर नाम से शुरू हुई यह पहल एक दिन सपनों के यंग इंडिया को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाएगी।

बच्चों में किसी भी वस्तु को लेकर उत्साह जरूरी
वीएनआईटी अध्यक्ष विश्राम जामदार ने कहा कि बच्चों में किसी भी वस्तु को लेकर उत्साह होना जरूरी है। इसी से उनकी रचनात्मकता बढ़ेगी। रचनात्मकता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा का ज्ञान हो। यंग भास्कर जैसी पत्रिकाएं इसमें अहम योगदान देने वाली साबित होंगी। विधायक अनिल सोले ने कहा कि मौजूदा दौर में अंग्रेजी भाषा को कई लोग बौद्धिकता का प्रदर्शन करने का माध्यम मानते हैं, लेकिन जो ज्ञान और नजरिया मातृभाषा का साहित्य दे सकता है, उसका कोई सानी नहीं। यंग भास्कर जैसे उपक्रम से हम जैसे राजनेताओं को भी युवा वर्ग के लिए जरूरी योजनाओं पर सुझाव मिलते रहेंगे। 

 

Created On :   13 July 2018 9:19 PM IST

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