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मां चिल्लाती रही बीमार बच्चे को बचा लो, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लटका था ताला और हो गई गोद सूनी
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। कालीमाटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर खड़ी महिला गेट पर लगे ताले को देखकर परेशान हो गई, वो गुहार लगाती रही कि कोई तो उसके जिगर के टुकड़े को बचा ले, लेकिन उसकी ये आवाज उस बंद पड़ी चार दीवारी तक ही सिमटकर रह गई, गांववालों के इलाज के लिए बनाए इस स्वास्थ्य केंद्र पर लगे ताले ने स्वास्थ्य विभाग की कलई खोलकर रख दी। मामला आमगांव तहसील का है, जहां किरण नांदने नामक महिला अपने डेढ माह के नवजात को गोद में लेकर खड़ी रही। उसे आस थी कि उसकी आवाज सुनकर स्वास्थ्य केंद्र का कोई जिम्मेदार मदद के लिए आएगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, नवजात ने दम तोड़ दिया। उसकी तबीयत खराब होती चली गई थी।
गुरुवार को डीएचओ नितिन वानखेड़े ने तहसील स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रौशन राऊत को बतौर जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।
उपचार के लिए मंगलवार 31 मई की रात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया था। स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट पर ताला लगा था, परिवार का आरोप है कि समय पर इलाज नहीं हो सका, जिसके कारण नवजात की मृत्यु हो गई। परिवार ने डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की थी।
विकास नांदने और किरण नांदने का डेढ़ माह का बेटा था, अचानक उसकी तबीयत रात 12 बजे के दौरान बिगड़ गई। स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट पर ताला लगा था, परिवार स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों को बुलाने के लिए जोर-जोर से आवाज लगा रहा था। जब कुछ नतीजा नहीं निकला तो वहां कार्यरत कर्मचारी के घर जाकर संबंधित डॉक्टर को बुलाने की गुहार लगाई।
आधे घंटे के बाद डॉक्टर स्वास्थ्य केंद्र में आया। नवजात की जांच की गई और उसे मृत घोषित किया गया। इस घटना को लेकर परिजन व ग्रामीणों में डॉक्टर व कर्मचारियों के खिलाफ तीव्र असंतोष निर्माण हो गया। और आरोप लगाया गया कि संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों की लापरवाही से ही नवजात की मृत्यु हुई। इन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, इस तरह की मांग की गई।
एक घंटे तक किया इंतजार
विकास नांदने, मृत नवजात के पिता, ग्राम कालीमाटी के मुताबिक नवजात की तबीयत बिगड़ने से उसे उपचार के लिए कालीमाटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया। लेकिन केंद्र के मुख्य गेट पर ही ताला लगा होने से अंदर प्रवेश नहीं हो पाया। जोर-जोर से आवाज लगाने के बावजूद भी किसी भी प्रकार का प्रतिसाद नहीं मिला। डॉक्टर व कर्मचारियों को बुलाने के लिए एक घंटे तक भटकना पड़ा। समय पर उपचार नहीं होने से मेरे बेटे की मृत्यु हो गयी। इसके लिए संबंधित डॉक्टर व कर्मचारी दोषी है।
Created On :   2 Jun 2022 6:51 PM IST