लोकसभा : सोशल प्रोफाइल को आधार से जोड़ने का प्रस्ताव नहीं, नाशिक में एमएसएमई सेंटर-बुलढाणा में मेडिकल कॉलेज की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि प्रयोक्ताओं के सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार संख्या से संबद्ध किए जाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। यह जानकारी केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने बुधवार को लोकसभा में भाजपा सांसद सुनील मेंढे के एक सवाल के जवाब में दी। धोत्रे ने कहा कि आज सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। हालांकि यह सही है कि जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो उसी समय उसका दुरूपयोग करने वाले, उसे क्रैक करने वाले लोग भी तैयार हो जाते हैं। उन्होने बताया कि इसके लिए आईटी एक्ट-2000 बना हुआ है। इस अधिनियम में ऑनलाइन रूप से उपलब्ध विद्वेषपूर्ण सूचना सामग्री को हटाने/उसे ब्लॉक करने के लिए प्रावधान हैं। सरकार ने वर्ष 2011 में इससे संबंधित एक इंटरमीडियरी अधिसूचना भी निकाला है। धोत्रे ने कहा कि यदि सोशल मीडिया में कोई फेक न्यूज या कुछ गलत न्यूज चलती है, जिससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोई परेशानी आती है तो उसको ब्लॉक किया जा सकता है। अभी एक नया बिल पर्सनल डेटा प्रोटेशना का है, जिस पर संयुक्त संसदीय समिति विचार कर रही है। समिति की अनुशंसा के बाद इस पर चर्चा की जाएगी।
नाशिक में एमएसएमई ट्रेनिंग सेंटर खोलने को मंजूरी दी जाए
शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने बुधवार को नाशिक में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) ट्रेनिंग सेंटर खोलने को मंजूरी दिए जाने की लोकसभा में मांग उठाई। उन्होने कहा कि खादी ग्रामोद्योग की देश में सबसे अधिक 265 एकड़ जमीन नाशिक में है। इससे पहले वर्ष 2016-17 में इस जगह पर डीम्ड स्किल यूनिवर्सिटी खोलने के प्रस्ताव को खादीग्राम उद्योग काउन्सिल ने मंजूरी दी थी, लेकिन यह प्रस्ताव भी अब तक लंबित पड़ा है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई में लगभग 40 सेक्टर और 500 से अधिक छोटे कोर्सेज अंतर्भूत है। इन सभी कोर्सेज के लिए एक ही छत के नीचे ट्रेनिंग सेंटर या सेंटर ऑफ एक्सिलेंस का होना जरुरी है, जिससे हमारा युवक अपनी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण लेकर एक सक्षम और कुशल बनकर खुद का उद्योग शुरु कर सके। खादी ग्रामोद्योग काउन्सिल के डीम्ड यूनिवर्सिटी खोलने के प्रस्ताव में इन्फ्रास्ट्रक्चर डैवलपमेंट, होस्टल, वोकेशनल ट्रेनिंग्स, इंडस्ट्री में लगने वाले कुशल रोजगार कोर्सिस, उद्योग में उपयुक्त कोर्सिस, टेक्नौलॉजी इन्क्युबेशन सेंटर आदि का समावेश था, लेकिन यह प्रस्ताव लंबित है। लिहाजा सरकार से अनुरोध है कि हर क्षेत्र में कुशल युवकों को आगे बढाने के लिए नाशिक में खादी ग्रामोद्योग की जगह पर एमएसएमई ट्रेनिंग सेंटर खोलने को मंजूरी दी जाए।
सांसद जाधव ने बुलढाणा में मेडिकल कॉलेज खुलवाने की लोकसभा में उठाई मांग
बुलढाणा से शिवसेना सांसद प्रतापराव जाधव ने बुधवार को लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खुलवाने की मांग उठाई। उन्होने सरकार को याद दिलाया कि बीते 15 जून को नीति आयोग की हुई बैठक में बुलढाणा में मेडिकल कॉलेज शुरु करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम उठाया नही गया है। सांसद जाधव ने सदन को बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र में 13 तहसील है और वहां एक भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नही है। क्षेत्र में अत्याधुनिक सरकारी स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध नहीं है। उन्होने कहा कि 22 मई 2018 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यहां मेडिकल कॉलेज शुरु कराने के लिए प्राथमिक जांच पडताल के लिए एक समिति का गठन कर इस संबंध में आदेश भी दिए थे। इसके बाद समिति ने 8 जून 2018 को बुलढाणा में इस सिलसिले में बैठक भी की थी, लेकिन मामला अभी आगे नही बढा है। सरकार से मांग है कि क्षेत्र में शीघ्र मेडिकल शुरु कराने के बारे में उचित कदम उठाया जाए
सांसद सुजय विखे पाटील ने पूछा भूमि अधिग्रहण पर अपनी भूमिका स्पष्ट करें केन्द्र सरकार
अहमदनगर से सांसद सुजय विखए पाटील ने बुधवार को लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र के किसानों के जमीन अधिग्रहण से जुड़े मुद्दे को उठाया। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होने सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया कि सेना के फील्ड एंड आर्टिलरी प्रैक्टिसेज के लिए जिन किसानों की हजारों हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई उनमें काफी आक्रोश है और आर्टिलरी प्रैक्टिसेज के विस्तार के लिए और नोटिफाइ की गई जमीन के प्रस्तावित अधिग्रहण के खिलाफ है। सांसद पाटील ने सदन को बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र में के.के. रेंज में 1956 से लगभग 40 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसका उपयोग सेना के फील्ड एंड आर्टिलरी प्रैक्टिसेस के लिए किया जाता है। इसके बाद 1980 में तेजगांव में 25619 हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन भी इस रेंज के विस्तार के लिए नोटिफाई की गई थी। वर्ष 2005 में इस क्षेत्र को रेड़ ज़ोन घोषित किया गया है, जिसके कारण इस क्षेत्र में कोई विकास नही हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस रेंज के लिए जिनकी जमीन नोटिफाइ की गई है ऐसे क्षेत्र के 23 गांवों के किसान इससे प्रभावित है। इनमें भारी आक्रोश है और वे अपनी भूमि के प्रस्तावित अधिग्रहण के खिलाफ है। उन्होने सरकार से अनुरोध किया कि वह इस मसले का उचित समाधान निकाले। साथ ही आक्रोशित किसानों को शांत करने के लिए भूमि अधिग्रहण के संबंध में सरकार की क्या भूमिका है इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण जारी करें।
Created On :   5 Feb 2020 9:12 PM IST