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8 जिलों में कम हुए आरक्षण और मेडीगड्डा बैराज को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बनाई समितियां

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के 8 जिलों में कम हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विमुक्त जाति व घुमंतू जनजातिवर्ग के आरक्षण के संबंध में उपाय योजनाको लेकर सुझाव देने के लिए प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबल की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति बनाई गई है। राज्य के आदिवासी बहुल पालघर, धुलिया, नंदूरबार, नाशिक, यवतमाल, रायगड गडचिरोली और चंद्रपुर जिले में ओबीसी और विमुक्त जाति व घुमंतू जनजाति वर्ग की जनसंख्या की तुलना में आरक्षण कम हुआ है। इसलिए समिति को इन 8 जिलों में दोनों वर्गों के मौजूदा आरक्षण और नई जनसंख्या का विचार करते जिला स्तरीय सरकारी पद के समूह क और ड वर्ग के सरलसेवा पद भरने के लिए आरक्षण निश्चित करने के संदर्भ में उपाय योजना सुझाना होगा। समिति को तीन महीने में मंत्रिमंडल को रिपोर्ट सौंपनी होगी। राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति के सदस्य गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड, सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे, बहुजन कल्याण मंत्री विजय वडेट्टीवार, वन मंत्री संजय राठोड. आदिवासी विकास मंत्री के सीपाडवी होंगे। जबकि एक सदस्य सचिव शामिल किए गए हैं।
मेडीगड्डा बैराज को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बनाई समिति
उधर महाराष्ट्र और तेलंगाना सीमा पर बनाए गए मेडीगड्डा बैराज से प्रदेश के हिस्से की जमीन डूबने और भूमि अधिग्रहण के कारण पैदा हुई स्थिति की जांच कर उपाय योजना सुझाने के लिए जांच समिति गठित की गई है। राज्य सरकार ने नागपुर के विभागीय आयुक्त डॉ. संजीव कुमारकी अध्यक्षता में समिति गठित की है। शुक्रवार को सरकार के जलसंसाधन विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। इसके अनुसार जांच समिति को कार्यकक्षा के अनुसार जांच करके एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी।जांच समिति में गडचिरोली के जिलाधिकारी दीपक सिंगला, गोंदिया की जिलाधिकारी डॉ. कादंबरी बलकवडे, नागपुर के जलसंसाधन विभाग के मुख्य अभियंता, नागपुर के सिंचाई परियोजना अन्वेषण मंडल के अधीक्षक अभियंता को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। जबकि समिति के सदस्य सचिव चंद्रपुर के सिंचाई परियोजना मंडल के अक्षीक्षक अभियंता होंगे। सरकार ने समिति को कुल 8 बिंदुओं पर जांच करने को कहा है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
• जांच समिति पता लगाएगीकि महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच हुए अंतरराज्यीय करार के प्रावधान भंग हुए हैं क्या?* सरकार ने कहा है कि स्थानीय वनपरिक्षेत्र कार्यालय द्वारा विस्तार से जांच कर परियोजना के कारण जंगल डूबने संबंधी रिपोर्ट मंत्रालय भेजने के बाद मंत्रालय से जंगल न डूबने को लेकरअनापत्ति प्रमाणपत्र देना चाहिए था। लेकिन नहीं दिया गया। इसलिए इसकी जांच करने को कहा गया है।
• अंतरराज्यीय करार के समय तेलंगाना में निर्माण कार्य की जो परिस्थिति बताई गई थी उसकी अपेक्षा अलग पद्धति से निर्माण कार्य करने की संभावना है। साथ ही डूबने वाला वनक्षेत्र कितना होगा। इसकी जांच करनी होगी। वनविभाग ने जो प्रमाणपत्र दिया है वो सरकारी मापदंड के अनुसार दिया गया है अथवा नहीं या फिर किसके दबाव में प्रमाणपत्र दिया गया है।
• निर्माण कार्य के समय स्थानीय उपवनसंरक्षक कार्यालय ने आपत्ति दर्ज कराई थी लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी ने कार्यवाही न करने के निर्देश दिए। तत्कालीन जिलाधिकारी पर किसका दबाव था। इसकी जांच होनी जरूरी है।
• समिति को मेडीगड्डा बैराज के कारण डूबने वाली नदी, उपनदी व नाले और उसके पास के क्षेत्र निश्चित करना होगा। डूबने वाली नहर, पुल और निर्माण कार्य की विस्तार से जानकारी लेकर उपाय योजना सुझाना होगा।
• सिरोंचा और अन्य इलाकों के किसानों के खेतों में पानी जाने से नुकसान हुआ है। नुकसान भरपाई तेलंगाना सरकार के करार के अनुसार करने के लिए करार की जांच कर कार्यवाही करनी होगी।
• मेडीगड्डा बैराज अंतरराज्यीय करार के तहत ऊंचाई के अनुसार गट नंबर और सर्वे नंबरवार डूबने वाले क्षेत्र का पता लगाने और ऊंचाई बढ़ाने के बाद गट नंबर और सर्वे नंबर वार डूबने वाले क्षेत्र की तुलनात्मक स्थिति और नक्शा तैयार करना होगा। राज्य के अन्य अंतरराज्यीय परियोजना लेंडी, बाभली आदि के लिए भूमि अधिग्रहण की क्या पद्धति अपनाई गई, समिति को यह भी बताना होगा।
Created On :   12 Jun 2020 9:11 PM IST