- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- एट्रोसिटी एक्ट मामले में बुधवार को...
एट्रोसिटी एक्ट मामले में बुधवार को सुनवाई, महाराष्ट्र सरकार ने दाखिल नहीं की रिव्यू पीटिशन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एट्रोसिटी एक्ट मामले में केन्द्र सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जहां बुधवार को सुनवाई हो रही है, वहीं इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की ओर से अब तक पुनर्विचार याचिका दायर नही करने पर पीड़ित पक्षकार ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह एक्ट राज्य में भी लागू होने के नाते सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू में जाती, लेकिन ऐसा नही करके सरकार ने एक तरह से आरोपी को ही बचाने का काम किया है।
गौरतलब है कि बीते 20 मार्च को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था। इससे दबाव में आयी मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। इस पर 3 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बदलने से साफ इंकार कर दिया था। पीडित पक्षकार भास्कर गायकवाड ने कहा कि इस मामले में केन्द्र के अलावा राजस्थान और केरल सरकार ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करना तो दूर अपना रीटन सबमिशन भी नही दिया।
इस मामले में एससी-एसटी आयोग के सदस्य सी एल थूल को पूछे जाने पर उन्होने कहा कि यह मामला मूल महाराष्ट्र का होने के कारण राज्य की ओर से रिव्यू पीटिशन दाखिल करना जरुरी था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को अलग से रिव्यू पीटिशन दाखिल करने की जरुरत नही होने के दिशा-निर्देश देने के कारण याचिका नही डाली गई है। इस पर गायकवाड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कोई दिशा-निर्देश दिए ही नही जो राज्य सरकार को रिव्यू याचिका दायर करने से रोके।
महाराष्ट्र सरकार की पूरी मशीनरी ने डॉ महाजन के समर्थन में काम किया है। जबकि मुझ पर अन्याय होने के बावजूद राज्य सरकार के किसी भी प्रतिनिधी यहां तक कि राज्य के एससी-एसटी आयोग के किसी सदस्य ने भी मेरा पक्ष जानने की कोशिश नही की है।
Created On :   15 May 2018 8:51 PM IST