यहां पर बनती है महुआ की रोटी, महिलाओं को मिल रहा है रोजगार

Mahua roti is giving employment to women of villages
यहां पर बनती है महुआ की रोटी, महिलाओं को मिल रहा है रोजगार
यहां पर बनती है महुआ की रोटी, महिलाओं को मिल रहा है रोजगार

 

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। महुआ फूलों का उपयोग शराब निर्माण में किया जाता है लेकिन इस पर बंदी की घोषणा के बाद महिलाओं ने महुए के फूलों से स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक रोटियां तैयार कर रोजगार की नई राह खोल दी है।

लोगों को भाई महुए की रोटी
आम तौर पर शराब निर्माण के लिए महुआ के फूलों का उपयोग किया जाता है लेकिन जिले में शराबबंदी की घोषणा के बाद कुछ महिलाओं ने महुए के फूलों से स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक रोटियां तैयार कर रोजगार की एक नई राह खोल दी है। चकबोथली की दो महिलाओं ने महुआ फूल से बनीं यह रोटियां हाल ही में आयोजित कृषि प्रदर्शनी में बिक्री के लिए रखीं जिसका स्वाद काफी लोगों ने चखा और इस प्रयास को सराहा भी। 

प्रदर्शनी से मिला अवसर
ब्रह्मपुरी तहसील अंतर्गत क्षेत्र का ग्राम चकबोथली चारों ओर से जंगल से घिरा हुआ है। यहां के ज्यादातर लोगों का व्यवसाय महुआ फूल चुनकर उसे बेचना है। आशा अरुण मेश्राम तथा अर्चना खुशाल मेश्राम इन दोनों महिलाओं की कमाई का जरिया महुआ फूल ही थे। इस बीच शराबबंदी के बाद महुआ फूलों के संग्रहण पर भी अघोषित पाबंदी सी लग गई। महुआ फूल खाने या रखने पर जिले में पाबंदी नहीं है लेकिन उसे सड़ा-गलाकर शराब बनाने पर पाबंदी है। इसलिए सूखे महुआ फूल हमेशा से ही पुलिस कार्रवाई के दायरे में आते रहे हैं। शराबबंदी के बाद तो स्थिति और भी गंभीर हो गई। ऐसे में आशा और अर्चना ने महुआ फूल की रोटी बनाने का विचार किया। इसके लिए जरूरी तैयारी की और जब तैयारी हो गई तो इसे व्यावसायिक स्वरूप में ढाल दिया। ये महिलाएं पहले महुआ फूलों को सुखाती हैं फिर उसे बारिक कर लेती हैं। तत्पश्चात आटे में नमक मिलाकर उसे गुंथा जाता है। उसके बाद महुआ की रोटी बनायी जाती है। जिले में इस तरह से महुए की रोटी बनाने का यह पहला ही प्रयोग है। भीमाबाई महिला बचत समूह की सदस्य आशा और अर्चना ने सरकार के कृषि महोत्सव व बचत समूह वस्तु प्रदर्शनी में अपनी इस रोटी से अलग ही पहचान बनाई है। शहरवासियों को महुए की यह रोटी अलग ही स्वाद दे गई। महुए का फूल औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है। 

महुआ होता है प्रोटीनयुक्त 
आयुर्वेद में इसे विशेष महत्व है। इसमें बड़े पैमाने पर प्रोटिन पाया जाता है। इसीलिए महुए की यह रोटी पौष्टिक है। आयुर्वेेद के जानकार डा.वैभव पोडचलवार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पहले महुआ फूलों का खाद्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। उस समय के लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा हुआ करता था क्योंकि महुएं में प्रोटिन बड़े मात्रा में होता है।

 महुए से सिर्फ शराब नहीं बनती
महिलाओं के इस प्रयोग की सफलता से यह तो साबित हो चुका है कि, महुए के  फूलों का उपयोग सिर्फ शराब के लिए नहीं किया जा सकता है बल्कि पौष्टिक खाद्य पदार्थ का निर्माण कर इससे बेहतर स्वास्थ्य भी पाया जा सकता है। यदि सरकार ने महिलाओं के इस प्रयोग को मिली सफलता को ध्यान में रखकर अन्य औषधीय सामग्री के निर्माण एवं उससे जुड़ी योजना पर विचार किया तो चंद्रपुर जिले में बचत समूह की महिलाओं के साथ ही कई बेरोजगारों को बड़ी संख्या में रोजगार के संसाधन उपलब्ध हो सकते हैं।
- रोटकर रामटेके (समाजसेवी)

Created On :   24 Jan 2018 10:13 AM GMT

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