बहुमत वाली शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल करेगा औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला

Majority Shinde government will decide to rename Aurangabad and Osmanabad
बहुमत वाली शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल करेगा औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला
अगली बैठक में मंजूरी बहुमत वाली शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल करेगा औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि शिंदे सरकार ने औरंगाबाद शहर का नामकरण "संभाजीनगर" और उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर "धाराशीव" करने वाले पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार के फैसले को स्थगिति नहीं दी है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल की अगली बैठक में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने और उस्मानाबाद का नाम धाराशीव रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाएगी। इसके अलावा नई मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को लोकनेता स्वर्गीय डी बी पाटील का नाम देने के लिए स्वीकृति दी जाएगी। शुक्रवार को मंत्रालय में मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने 29 जून को बहुमत खो दिया था। इसके बावजूद ठाकरे ने उसी दिन मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर दोनों शहरों का नाम बदलने का फैसला लिया था। मगर नियमों के  अनुसार अल्पमत वाली सरकार मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले नहीं ले सकती है। इसलिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अफसरों से कहा है कि बहुमत वाली सरकार का मंत्रिमंडल दोनों शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देगा। इसके मद्देनजर अब मंत्रिमंडल की अगली बैठक में दोनों शहरों के नामकरण का प्रस्ताव पेश रखा जाएगा। जिसको मंत्रिमंडल की बैठक में वैध रूप से मान्यता दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नियम और परंपरा ऐसी है कि जब राज्यपाल सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए पत्र लिखते हैं तो उसके बाद मंत्रिमंडल की बैठक में कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं लिया जाता है। क्योंकि पहले कई बार जब कोई राज्यपाल किसी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहते थे तो उस प्रदेश के मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग करने का फैसला लेते थे। इसके मद्देनजर अदालत ने कई फैसलों में कहा है कि राज्यपाल के बहुमत परीक्षण के लिए पत्र जारी करने के बाद विश्वास मत हासिल करने तक कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं लिया जा सकता। 

कांग्रेस और राकांपा की भूमिका असमंजस वाली

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने जब मंत्रिमंडल की बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला लिया था उस समय शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और राकांपा की भूमिका असमंजस वाली थी। क्योंकि मंत्रिमंडल की बैठक में किसी दल का समर्थन था और किसी ने विरोध किया था। बाद में शिवसेना के सहयोगी दलों ने मीडिया के सामने फैसले का विरोध किया था। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नामकरण को लेकर महाविकास आघाड़ी के तीनों दल की दोहरी भूमिका है। इसलिए तीनों दलों की भूमिका क्या है। यह स्पष्ट रूप से कोई नहीं कह सकता है। मगर शिंदे सरकार का फैसला निश्चित है। 

गैर कानूनी रूप से बुलाई मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ था फैसला - मुख्यमंत्री शिंदे 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीते महीने 29 जून को महाविकास आघाड़ी सरकार के राज्य मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का फैसला लिया था। लेकिन ठाकरे सरकार की मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक गैर कानूनी थी। क्योंकि उस समय ठाकरे सरकार अल्पमत में आ गई थी। हमने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास बहुमत का दावा पेश किया था। ऐसे में सरकार के अल्पमत में रहने के दौरान मंत्रिमंडल की कोई बैठक नहीं बुलाई जा सकती। ठाकरे सरकार की मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक गैर कानूनी थी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने शिवसेना के शिंदे गुट के विधायक अब्दुल सत्तार की ओर से आयोजित सभा को संबोधित किया। प्रभादेवी के रवींद्र नाट्य मंदिर में आयोजित सभा में औरंगाबाद के सिल्लोड से सत्तार के समर्थक पहुंचे थे। इस सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल की अगली बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ठाकरे मंत्रिमंडल के दोनों जिलों के नाम बदलने के फैसले को अदालत में कोई भी चुनौती दे सकता है। इसलिए मंत्रिमंडल की अधिकृत बैठक में नामकरण का फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का शब्द शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के मुंह से निकला हुआ है। इसलिए शिंदे सरकार औरंगाबाद के नामकरण के फैसले पर रोक लगा ही नहीं सकती। 


 

Created On :   15 July 2022 3:56 PM GMT

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