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आश्वासन के उल्लंघन के लिए मलिक ने बांबे हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव व उनके परिवार के खिलाफ किसी प्रकार की मीडिया में बयानबाजी न करने को लेकर दिए गए आश्वासन के उल्लंघन के लिए राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने बांबे हाईकोर्ट से बिना किसी शर्त के माफी मांगी है। और खेद भी व्यक्त किया है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि मंत्री मलिक ने इस मामले में जानबूझकर कोर्ट को दिए गए अपने आश्वासन को तोड़ा है। इसलिए क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया जाए। कोर्ट के इस रुख के मद्देजर मंत्री मलिक ने हलफनामा दायर कर कोर्ट से माफी मांगी है।
मंत्री मलिक ने 25 नवंबर 2021 को न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने आश्वासन दिया था कि वे ज्ञानदेव व उनके परिवार के खिलाफ मीडिया व सोशल मीडिया में तब तक किसी प्रकार का मानहानिपूर्ण बयान नहीं देंगे। जब तक इस मामले से जुड़े दावे का निपटारा नहीं हो जाता है। इस बीच ज्ञानदेव ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर अदालत को बताया कि मंत्री मलिक ने 25 नवंबर को दिए गए अपने आश्वासन को तोड़ा है और ऐसी बाते मीडिया में कही है जो कि अनपेक्षित थी। ज्ञानदेव के आवेदन पर विचार करने के बाद खंडपीठ ने मलिक को इस मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
वानखेडे परिवार के बारे में कुछ नहीं कहूंगा-मंत्री मलिक
शुक्रवार को जब यह मामला दोबारा सुनवाई के लिए आया तो मंत्री मलिक ने खंडपीठ के सामने तीन पन्ने का एक हलफनामा दायर किया। जिसमें मंत्री मलिक ने कहा है कि मेरी जिन बातों को लेकर हाईकोर्ट में अपत्ति जताई गई है। उनकों लेकर न तो मैंने(मंत्री मलिक) कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी की है और न ही आधिकारिक बयान दिया है। अदालत में जिन बातों का जिक्र किया गया है वे एक साक्षात्कार के दौरान पत्रकार द्वारा विभिन्न विषयों को लेकर पूंछे गए सवालों के जवाब में कही गई थी।यदि इससे मेरे आश्वासन का उल्लंघन हुआ है तो इसके लिए मैं बिनी किसी शर्त के माफी मांगता हूं। लेकिन अब वे आगे से ज्ञानदेव व उनके परिवार के सदस्यों को लेकर पूछे जानेवाले सवालों को लेकर मीडिया व सोसल मीडिया में कोई मानहानिपूर्ण कोई बयान नहीं देंगे।
केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के बारे में बोलूंगा-मलिक
मंत्री मलिक ने हलफनामे में साफ किया है कि उन्होंने कोर्ट को जो अब आश्वासन दिया है उसका मतलब यह नहीं है कि वे केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक रुप से दुरुपयोग व केंद्र के अधिकारियों के आचारण को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इस पर आपत्ति जताते हुए ज्ञानदेव वानखेडे की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने कहा कि मंत्री को मेरे मुवक्किल व उनके परिवार के संबंध में टिप्पणी करने से रोका जाए।
वहीं मलिक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आस्पी चिनाय ने कहा कि मेरे मुवक्किल वानखेड़े परिवार के सदस्यों के निजी जीवन (जाति व धर्म) को लेकर कुछ नहीं कहेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल के पास दूसरे अधिकारी के बारे में बोलने का अधिकार है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एक मंत्री के रुप में मलिक को अपनी बात कहने के लिए उचित मंच के पास जाना चाहिए। वे एक मंत्री है कोई आम आदमी नहीं है। आपको (अधिवक्ता चिनाय) भी पता है और हम भी(खंडपीठ) भी जानते है कि इस मामले में क्या हो रहा है। इस तरह खंडपीठ ने मंत्री मलिक के हलफनामे को स्वीकार करते हुए मामले को सुनवाई के लिए एकल न्यायमूर्ति के सामने भेज दिया।
Created On :   10 Dec 2021 9:02 PM IST