मेडिकल में मराठा आरक्षण : राज्य सरकार को मिली राहत, हाईकोर्ट से याचिका खारिज

Maratha reservation in medical, petition rejected by high court
मेडिकल में मराठा आरक्षण : राज्य सरकार को मिली राहत, हाईकोर्ट से याचिका खारिज
मेडिकल में मराठा आरक्षण : राज्य सरकार को मिली राहत, हाईकोर्ट से याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल और डेंटल एडमिशन में मराठा एसईबीसी आरक्षण लागू करने के राज्य सरकार के विवादित फैसले के बीच नागपुर खंडपीठ से प्रदेश सरकार को राहत मिली है। मराठा एसईबीसी को प्रवेश प्रक्रिया में आरक्षण देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अध्यादेश निकाला था, जिसे नागपुर खंडपीठ में डॉ.समीर देशमुख व अन्य ने चुनौती दी थी। इस याचिका को गुरुवार को नागपुर खंडपीठ ने तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने 4 जून के अपने आदेश में साफ किया था कि इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के अलावा कोई भी कोर्ट सुनवाई नहीं ले सकता। इसी को ध्यान में रख कर नागपुर खंडपीठ ने याचिका खारिज की। याचिकाकर्ता काे सर्वोच्च अदालत जाने की अनुमति दी गई है। 

यह था मामला

मराठा समाज की मांग के बाद सरकार ने एसईबीसी प्रवर्ग के तहत 16 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया है। डॉ. शिवानी रघुवंशी और डॉ. प्रांजलि चरडे ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रदेश के विविध सरकारी और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में पीजी पाठ्यक्रमों के लिए जारी प्रवेश प्रकिया में कई गड़बड़ियां हैं। आरोप थे कि प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी से ज्यादा सीटें मराठा वर्ग के सामाजिक और आर्थिक पिछड़े प्रवर्ग (एसईबीसी) के लिए दर्शाई गई हैं। प्रवेश प्रक्रिया पहले शुरू हुई और मराठा आरक्षण बाद मंे घोषित हुआ। फिर भी प्रवेश प्रक्रिया में पूर्व प्रभाव से मराठा एसईबीसी आरक्षण लागू किया गया। नागपुर खंडपीठ ने बीते मई में आदेश जारी कर मराठा आरक्षण लागू करने पर रोक लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को कायम रखा था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अध्यादेश लाया था, जिसे फिर एक बार कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 
 

Created On :   13 Jun 2019 5:28 PM GMT

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