सामग्री हुई महंगी, इस साल मूर्तियाें के दाम होंगे 30 फीसदी ज्यादा

Materials become expensive, this year the price of idols will be 30 percent higher
सामग्री हुई महंगी, इस साल मूर्तियाें के दाम होंगे 30 फीसदी ज्यादा
नागपुर सामग्री हुई महंगी, इस साल मूर्तियाें के दाम होंगे 30 फीसदी ज्यादा

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| कोरोना की सामान्य स्थिति को देखते हुए कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने सारे प्रतिबंधों को हटा दिया है। इससे त्योहारों को लेकर नागरिकों में उत्साह है। प्रतिबंध हटने के बाद पहला बड़ा उत्सव गणेशोत्सव होगा। 31 अगस्त से उत्सव की शुरुआत होगी। घरेलू व सार्वजनिक मंडलों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हालांकि इस बार गणेश मूर्तियाें के दाम 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। कच्ची सामग्री, मजदूरी, जमीन का किराया, ट्रांसपोर्टिंग आदि के रेट बढ़ गए हैं।

लकड़ी हुई महंगी : लकड़ियों से मूर्तियों का स्ट्रक्चर बनाया जाता है। पिछले साल लकड़ियों की कीमत 400 रुपए मन (40 किलो) थी। इस साल 700 रुपए हो चुका है। आरा मशीन से 1 से 5 मन लकड़ियां लाने में करीब 350 रुपए किराया खर्च होता है। पिछले साल यह किराया 125 से 175 रुपए था। पिछले साल एक ट्रैक्टर मिट्टी 5500 रुपए में मिलती थी अब 7000 रुपए में मिल रही है। मूर्तियां बनाने के लिए अधिकतर मूर्तिकार किराए की जमीन लेते हैं। पहले 15 से 20 हजार रुपए किराया लिया जाता था, जो अब 40 से 60 हजार रुपए हो चुका है।

कारीगरों की खींचतान : मूर्ति बनाने वाले कारीगरों के लिए 4 माह कमाई करने वाला समय होता है, ऐसे में जो ज्यादा पैसा देता है, वहां कारीगर चले जाते हैं। पिछले साल इनकी मजदूरी 350 से 400 रुपए थी। इस बार 450 से 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी हो चुकी है। इसी प्रकार रंग से लेकर साज-सज्जा आदि के दाम भी करीब 30 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। बिजली का बिल भी बढ़ गया है।

यहां से होता आयात-निर्यात : नागपुर शहर मूर्तियों का बड़ा बिक्री केंद्र है। यहां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा समेत पूरे विदर्भ से मूर्तियों के ग्राहक आते हैं। यहां हर साल 3 लाख से अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियों की आवश्यकता होती है। जिले में 1 से 1.25 लाख मूर्तियां बनने का अनुमान है। मांग होने पर पुणे, मुंबई, अमरावती, बडनेरा, परतवाड़ा, अहमदनगर, कोल्हापुर आदि शहरों से मूर्तियां आयात की जाती हैं। यह मूर्तियां जिले की पारंपरिक मूर्तियों से अलग होती हैं। इसमें साडू मिट्‌टी, लाल मिट्‌टी, खदान की मिट्‌टी व पीओपी की मूर्तियों का समावेश होता है। 

हर सामग्री के बढ़े हैं दाम

सचिन चव्हाण, मूर्तिकार के मुताबिक इस साल उत्सव से प्रतिबंध हटा है, लेकिन मूर्ति निर्माण के लिए समय कम मिला है। दो साल के मुकाबले इस बार हर सामग्री महंगी हो गई है। कच्ची सामग्री के अलावा अन्य संसाधनों के दाम भी अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। महंगाई को देखते हुए इस बार मूर्तियों के दाम 30 फीसदी अधिक हैं। 

Created On :   31 July 2022 7:50 PM IST

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