महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष का मामला 7 जजों की संवैधानिक पीठ सुनेगी या नहीं, मंगलवार को होगा तय

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. महाराष्ट्र में शिवसेना के टूटने के बाद उभरे सत्ता संघर्ष को लेकर प्रतिद्वंदी द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि मामले को 7 जजों की बेंच को भेजना है या नहीं। पिछली सुनवाई में ठाकरे गुट ने नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर केस में संविधान पीठ के 2016 के फैसले की सत्यता पर विचार करने के लिए मामले को 7 जजों की बेंच को रेफर करने की मांग की थी। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। 13 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में नबाम रेबिया मामले में पांच जजों की पीठ के फैसले का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि एक स्पीकर अयोग्यता की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है, जब उसे हटाने का प्रस्ताव लंबित हो। महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष का मामला भी नबाम रेबिया के फैसले से संबंधित है और इसे सात जजों के साथ ही निपटाया जा सकता है।
मंगलवार को हो रही सुनवाई में दोनों पक्षकारों के अलावा मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले डॉ विश्वंभर चौधरी और अन्य की ओर से एड असिम सरोदे भी दलील रखेंगे। याचिका में कई संवैधानिक मुद्दों को उठाने के साथ ही दल बदल विरोधी कानून के इस मामले में मतदाताओं के पक्ष को सुने जाने की मांग की गई थी, जिसे सीजेआई ने स्वीकार कर लिया था। एड सरोदे ने कहा कि कल की सुनवाई में सीजेआई मामले को 9 जजों की बेंच को भेजने का फैसला ले सकते है, क्योंकि इसे 9 जजों की बेंच को भेजा जाना कानूनी जरूरत है। एड सरोदे ने कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और संविधान विरोधी है।
Created On :   9 Jan 2023 7:58 PM IST