मेलघाट -आदिवासी इलाकों में क्यों नहीं घट रही है मौतें, जनहित याचिका

Melghat - Why deaths are not decreasing in tribal areas, PIL
मेलघाट -आदिवासी इलाकों में क्यों नहीं घट रही है मौतें, जनहित याचिका
हाईकोर्ट का सरकार से सवाल  मेलघाट -आदिवासी इलाकों में क्यों नहीं घट रही है मौतें, जनहित याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आदिवासी इलाकों में हो रही मौत को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि आखिर ऐसे इलाकों में लोगों की होनेवाली मौत घट क्यों नहीं रही है। हाईकोर्ट ने यह बात मेलघाट सहित राज्य के अन्य अदावासी इलाकों में लोगों कुपोषण व स्वास्थ्य सेवाओं तथा डाक्टरों की कमी के चलते होनेवाली मौत के मुद्दे को लेकर दायर जनहित यचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इस मुद्दे को लेकर डॉक्टर राजेंद्र बर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता बीएस साने सहित अन्य लोगों ने जनहित याचिका दायर की है।

हाईकोर्ट ने कहा कि साल 2006 में आदिवासी इलाकों की स्थिति को लेकर 13 निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन 16 साल बाद भी इन पर अमल होता नहीं दिख रहा है। प्रसंगवश हाईकोर्ट ने पालघर के मोखाडा इलाके में समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के चलते अपने जुड़वा बच्चों को गंवानेवाली गर्भवती महिला को लेकर छपी खबर का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी इलाकों में होनेवाली मौत घट क्यो नहीं रही है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने खंडपीठ के सामने कहा कि आदिवासी इलाकों में जितने डाक्टरों को तैनात किया जाता है उसमें से 50 प्रतिशत डाक्टर ड्यूटी पर आते ही नहीं हैं। मेलघाट और धारणी में चार सौ बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। इस बीच उन्होंने मेलघाट इलाके में स्थित दो गांवों में दूषित पानी के चलते हुई बच्चों की मौत की जानकारी भी खंडपीठ को दी। 

इससे पहले समाजिक कार्यकर्ता बीएस साने ने खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय न होने के चलते आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में बच्चों के डाक्टर उपलब्ध नहीं है। इसके चलते नंदुरबार व अन्य इलाकों में बच्चों की मौत हो रही है। गर्भवती महिलाओं के आहार के लिए एक योजना के तहत 33 रुपए दिए जाते है। यह राशि अपर्याप्त है। 

मेलघाट पर आईपीएस दोरजे की रिपोर्ट प्रभावी 

सामाजिक कार्यकर्ता साने ने कहा कि मेलघाट व आदिवासी इलाके की स्थिति को सुधारने के लिए कुल 13 रिपोर्ट सौपी जा चुकी ही है। लेकिन इसमें आईपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे की रिपोर्ट काफी प्रभावी है। यदि इस रिपोर्ट पर सही ढंग से अमल हो तो हाल सुधारे जा सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले के समाधान के लिए एक ठोस नीति की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अधिकारी आदिवासी इलाकों का दौरा ही नहीं करते हैं। 

हाईकोर्ट ने मांगी ड्यूटी पर न आने वाले डॉक्टरों की सूची 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमारे सामने इसकी जानकारी पेश की जाए कि वे कौन से 50 प्रतिशत डाक्टर है जो ड्यूटी नहीं ज्वाइन करते हैं। जब तक हमारे समाने डाक्टरों से जुडी जानकारी नहीं आएगी तब तक हम इस मामले में जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश नहीं दे सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि राज्य के महाधिवक्ता ने हमे जानकारी दी थी कि श्री दोरजे की रिपोर्ट के आधार पर अल्पकालिक व दीर्घकालिक कदम उठाए गए हैं। यह कदम कौन से हैं, इसकी जानकारी दी जाए। खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल हमें बताया जाए कि तत्काल आदिवासी इलाके के लिए कौन सा आदेश जरुरी है। हम उसको लेकर आदेश जारी करेंगे। खंडपीठ ने अब 12 सितंबर को इस मामले की सुनवाई रखी है। 

Created On :   17 Aug 2022 8:01 PM IST

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