6 महीने के भीतर जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश न करने वालों की सदस्यता होगी रद्द

Membership will be canceled of candidates who did not submit caste validity certificate within 6 months
6 महीने के भीतर जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश न करने वालों की सदस्यता होगी रद्द
6 महीने के भीतर जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश न करने वालों की सदस्यता होगी रद्द

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्थानीय स्वराज संस्था के चुनाव में आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को छह महीने के भीतर जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होने के मुंबई हाईकोर्ट के फैसले को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कायम रखा है। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद जो उम्मीदवार चुनाव जीत चुके है और उन्होने छह महीने के भीतर अपना जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नही किया है उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी।

महाराष्ट्र म्युनिसिपल कौन्सिल एक्ट की धारा 9(ए) के अनुसार आरक्षित सीट से चुनाव जितने वाले उम्मीदवारों के पास यदि जाति वैधता प्रमाणपत्र नही है ऐसे उम्मीदवारों को छह महीने के भीतर यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस एक्ट की उक्त धारा अनिवार्य है या नही इसको लेकर जारी विवाद मुंबई हाईकोर्ट पहुंचा था। कुछ उम्मीदवारों ने जाति वैधता प्रमाणपत्र है, लेकिन उसे छह महीने के भीतर ही प्रस्तुत करना अनिवार्य नही ऐसा दावा किया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने उनके दावे को खारिज करते हुए छह महीने के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य होने का फैसला सुनाया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

इस मसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। महाराष्ट्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में वकील ने आशंका व्यक्त की कि राज्य में इस तरह के हजारों मामले होंगे। अब ऐसे मामलों में बचाव या राहत की कोई गुंजाईश नही है। उपचुनाव ही इस मसले का हल है। कोल्हापुर में ऐसे सबसे अधिक मसले सामने आए है। शीर्ष अदालत के आज फैसले से कोल्हापुर के करीब 19 नगरसेवक अपात्र हुए है। 

Created On :   23 Aug 2018 9:39 PM IST

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