नौ दिसंबर तक वानखेड़े परिवार के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे मंत्री मलिक

Minister Malik will not say anything about Wankhede family till December 9
नौ दिसंबर तक वानखेड़े परिवार के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे मंत्री मलिक
हाईकोर्ट नौ दिसंबर तक वानखेड़े परिवार के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे मंत्री मलिक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि वे नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव उनके परिवार के खिलाफ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से अगली सुनवाई (नौ दिसंबर 2021) तक मीडिया व सोशल मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे। हाईकोर्ट में ज्ञानदेव की ओर से मानहानि के दावे पर एकल न्यायमूर्ति के आदेश के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई चल रही है। 

इससे पहले न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति एमएन जाधव की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंत्री मलिक के वकील पूछा कि पूछा कि क्या मंत्री मलिक ने एनसीबी अधिकारी वानखेडे के जाति प्रमाणपत्र को लेकर कोई शिकायत दर्ज कराई है। जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता कार्ल तांबोली ने कहा कि अभी तक कोई शिकायत नहीं की गई है क्योंकि अभी इस विषय पर विजलेंस की जांच चल रही है। तो फिर आप(मंत्री) ने इस बारे में ट्विट क्यों किया।  क्या यह मीडिया में प्रचार पाने के लिए किया गया है। वे(मलिक) हर दिन मीडिया का ध्यान अपनी ओर चाहते है। सिर्फ इसलिए की उनके दमाद को गिरफ्तार किया गया है।  जाति प्रमाणपत्र से जुड़े मामलों को लेकर जाति वैधता प्रमाणपत्र फोरम है। कोई भी वहां पर जा सकता है।  ऐसे में ट्विट करने का क्या मतलब है। आखिर वे क्या कहना चाहते है। आर्यन खान के मामले का इस प्रकरण से क्या संबंध है।  वे एक मंत्री है उन्हें यह सब करना अच्छा लगता है।  क्या इससे उन्हें कुछ मिलेगा। 

सुनवाई के दौरान ज्ञानदेव की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने कहा कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद मंत्री मलिक की मेरे मुवक्किल के ऊपर कीचड उछालना पूरी तरह से अनुचित है। सोशल मीडिया फिलहाल ऐसा मंच हो गया है जहां कोई किसी के बारे में कुछ भी बोल व लिख सकता है। उन्होंने कहा कि मंत्री मलिक ने तथ्यों का तर्कसंगत सत्यापन किए बिना फिर मेरे मुवक्किल के खिलाफ ट्विट किया है। जबकि मंत्री होने के नाते उनसे जिम्मेदारपूर्ण आचारण अपेक्षित है। वहीं मंत्री मलिक के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता तांबोली ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने एकल न्यायमूर्ति के सामने याचिकाकर्ता को लेकर अतिरिक्त दस्तावेज दिए थे। 

इससे पहले एकल न्यायमूर्ति ने 22 नवंबर 2021 को मंत्री मलिक के सीधे-सीधे बोलने पर रोक लगाने से इंनकार कर दिया था। और मलिक को निर्देश दिया था कि वे आगे वानखेडे परिवार के बारे में कुछ भी बोलने से पहले तथ्यों का तर्कसंगतच तरीके से सत्यापन करे। एकल न्यायमूर्ति के आदेश को वानखेडे के पिता ने फिर से चुनौती दी है। गुरुवार को वानखेडे के पिता ज्ञानदेव की ओर दायर की गई अपील पर  खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। अपील में दावा किया गया है कि एकल न्यायमूर्ति ने प्रथम दृष्टया माना है कि मंत्री मलिक द्वारा एनसीबी अधिकारी वानखेडे के खिलाफ किए गए ट्विट दुर्भावान व व्यक्तिगत रंजिश से प्रेरित नजर आ रहे है। क्योंकि वानखेडे के बेटे ने मलिक दमाद के खिलाफ कार्रवाई की थी। ऐसे में एकल न्यायमूर्ति से अपेक्षित था मलिक को आगे वानखेडे व वानखेडे के परिवार के लोगों के बारे में बोलने से रोका जाए। किंतु ऐसा आदेश जारी नहीं किया गया है। 

 

Created On :   25 Nov 2021 8:34 PM IST

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