बढ़े 27 फीसदी आपराधिक पृष्ठिभूमि वाले विधायक 

MLAs with criminal background increased to 27% in Mumbai
बढ़े 27 फीसदी आपराधिक पृष्ठिभूमि वाले विधायक 
मुंबई बढ़े 27 फीसदी आपराधिक पृष्ठिभूमि वाले विधायक 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आपराधिक रिकॉर्ड बाले विधायकों की संख्या बढ़ी है। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 13वीं विधानसभा के मुकाबले मौजूदा 14वीं विधानसभा में आपराधिक रिकॉर्ड वाले विधायकों की संख्या 27 फीसदी बढ़ी है। पिछली विधानसभा में मुंबई से 15 ऐसे विधायक चुने गए थे जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे जबकि 2019 विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले ऐसे विधायकों का आंकड़ा बढ़कर 19 पहुंच गया है। इसके अलावा विधायकों के स्तर में भी गिरावट आई है और पहले के मुकाबले वे लोगों से जुड़े कम सवाल पूछ रहे हैं। महानगर में कोरोना संकट के दौरान विधानसभा में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास से जुड़े ज्यादा सवाल पूछे जाने चाहिए थे लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सदन में इस तरह के सवालों में काफी कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक 12वीं विधानसभा के मुकाबले 13वीं विधानसभा के पहले साल में स्वास्थ्य से जुड़े 62 फीसदी, शिक्षा से जुड़े 78 फीसदी और आवास से जुड़े 75 फीसदी कम सवाल पूछे गए हैं। कोरोना संक्रमण के दो सालों के दौरान विधायकों के कामकाज का मूल्यांकन करने के बाद स्वयंसेवी संस्था ‘प्रजा फाउंडेशन’ ने एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक लोगों से जुड़े मुद्दे उठाने और साफ सुथरी छवि के मामले में कांग्रेस के अमीन पटेल मुंबई के सबसे अच्छे विधायक साबित हुए हैं। जबकि भाजपा के पराग अलवणी और शिवसेना के सुनील प्रभु दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। 

लोगों के मुद्दे उठाने के मामले में शिवसेना के रविंद्र वायकर सबसे खराब विधायक साबित हुए हैं जबकि शिवसेना के बागी विधायक प्रकाश सुर्वे नीचे से दूसरे नंबर पर हैं। अब विधानसभा अध्यक्ष बन चुके भाजपा के राहुल नार्वेकर सबसे खराब काम करने वाले विधायकों में तीसरे नंबर पर रहे। प्रजा फाउंडेशन के सीईओ मिलिंद म्हस्के ने कहा कि 2019 के शीतकालीन सत्र से 2021 के मॉनसून सत्र के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है। रिपोर्ट कार्ड बनाते समय विधानसभा में पूछे गए सवाल, विधायक निधि के इस्तेमाल और आपराधिक रिकॉर्ड को नजर में रखा गया है। 

सदन में कामकाज के मामले में 10 वें स्थान पर महाराष्ट्र 

मौजूदा विधानसभा के अब तक हुए सत्र औसत 6 दिन के ही रहे हैं जबकि 12वीं विधानसभा में एक सत्र औसत 15 दिन का था। संस्था के मुताबिक उसके पास देशभर की जिन 19 विधानसभाओं के आंकड़े थे उनमें सत्र की अवधि के मामले में महाराष्ट्र 10वें नंबर पर रहा। सबसे ज्यादा औसत 31 दिन का कामकाज कर्नाटक में हुआ। जबकि मध्य प्रदेश इस मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुआ।   

     

Created On :   26 July 2022 9:14 PM IST

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