मासिक गोष्ठी - बरखा की पाती आई, प्राणी मत घबरा मैं आई

डिजिटल डेस्क, अकोला. बरखा की पाती है आई, प्राणी मत घबरा मैं आई। उमसीले मौसम की आह, स्वेदकणों की करूण कराह। कैद पवन की इतनी चाह, मुक्त करो अब वायुप्रवाह। सूरज की फिर हुई खिंचाई, हुई बहुत अब तेरी ढिठाई। बरखा की पाती है आई...। डा. प्रमोद शुक्ल ने नवगीत पाती बरखा की सुनाकर उपस्थितों की दाद प्राप्त की। कार्यक्रम के सत्र में मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें डा.रामप्रकाश ने रिश्तों के ताने-बाने पर आधारित रचना करना है उन रिश्तों का सुनाते हुए क्या करना है उन रिश्तों का, जिनमें कोई गंध नहीं है। सोच हुई है जब भी बौनी, तब दीवार बड़ी हो जाती। आपस के संवादों में भी, मौनी भित्ति खड़ी हो जाती।
अनुमानों के आभासों में, भावों के अनुबन्ध नहीं हैं। क्या करना है… ने सभी की वाहवाही लूटी। रमेश डागा की रचना सुनाकर उपस्थितों की दाद पाई। डा.राजेश्वर बुंदेले ने लघुकथा लक्ष्मी के माध्यम से अतिक्रमण निमूर्लन दस्ते की कार्रवाई में गरीब विक्रेता के नुकसान की कथा का चित्रण कर उपस्थितों को भावुक कर दिया। स्थानीय नीमवाड़ी स्थित संस्कृत कान्वेंट के गणपत शर्मा भवन में राष्ट्र:भाषा सेवा समाज की ओर से मासिक गोष्ठी एवं सत्कार समारोह का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में गज़लकार महेश शुक्ल ने गज़ल पेश करते हुए : पहुंच हिमालय की चोटी पर, याद आ गया वह पत्थर। पहली बार गिरा धरती पर, मैं जिससे ठोकर खाकर। अपने पैरों की चौड़ाई जितनी, भूमि मिली सबको और दृष्टि है जिसकी जितनी। है उसका उतना अंबर, जो सबकुछ पाने आए थे। उनको मिल न सका कुछ भी, पर वो सबकुछ पा बैठे। जो आए थे खुद को खोकर..ने सभी की तालियां बटोरीं। कार्यक्रम में दत्ताभाऊ शेलके, प्रा. कोमल श्रीवास ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। गज़लकार कृष्णकुमार शर्मा ने छोटी बहर की गज़ल ‘किस को, किस को समझू मैं की प्रस्तुति की। मासिक गोष्ठी में हिन्दी साहित्य अकादमी में अकोला से डॉ.प्रमोद शुक्ल एवं पत्रकार श्याम शर्मा के बतौर सदस्य नियुक्त होने के उपलक्ष्य में आयोजित सत्कार समारोह का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मंच पर राष्ट्र:भाषा सेवी समाज के अध्यक्ष डॉ. रामप्रकाश वर्मा, हास्य-व्यंग्य कवि घनश्याम अग्रवाल सहित डॉ.प्रमोद शुक्ल एवं श्याम शर्मा प्रमुखता से उपस्थित थे।
इस अवसर पर डा.शुक्ल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे तो भाषा और साहित्य दोनों अलग-अलग हैं किन्तु साहित्य ही भाषा को समृद्ध बनाता है। नव लेखकों को प्रोत्साहन देने तथा उत्तम साहित्य की निर्मिति के लिए अकादमी का सदैव सहयोग रहता है। हिन्दी साहित्य अकादमी ने जो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मुझे सौंपी है। उसके माध्यम से मैं हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने का सदैव प्रयास करता रहूंगा। कार्यक्रम की शुरूआत में संस्था अध्यक्ष डा.रामप्रकाश ने संस्था की गतिविधियों के साथ ही अकादमी की चयन प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से बताया। अतिथि परिचय हास्य-व्यंग्य कवि घनश्याम अग्रवाल ने कराया। पश्चात गज़लकार महेश शुक्ल एवं टूली जीवतरामाणी के हाथों शाल, श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ देकर डा.प्रमोद शुक्ल का सत्कार किया गया। श्याम शर्मा का सत्कार रमेश डागा एवं दत्ताभाऊ शेलके के हाथों किया गया। कार्यक्रम में सुभाष श्रावगी, कमल हरितवाल, जयंत वोरा, घनश्याम अग्रवाल, टूली जीवतरामानी, सत्यनारायण जोशी सहित साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डा. निशाली पंचगाम ने किया।
Created On :   8 Feb 2023 5:38 PM IST