हर महीने 3 से अधिक बाल यौन उत्पीड़न के मामले, फिर भी पुलिस गंभीर नहीं

more than 3 sexual cases in a month
हर महीने 3 से अधिक बाल यौन उत्पीड़न के मामले, फिर भी पुलिस गंभीर नहीं
हर महीने 3 से अधिक बाल यौन उत्पीड़न के मामले, फिर भी पुलिस गंभीर नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में हर महीने 3 से अधिक लैंगिक उत्पीड़न के मामले दर्ज हो रहे हैं। जो पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 से जुड़े हैं। महानगर में 29 थाने हैं, सभी थानों को मिलाकर हर साल तकरीबन 40 पॉक्सो के मामले दर्ज होते हैं। बाल यौन उत्पीड़न के ज्यादातर मामले उन झुग्गी-झोपड़ियों के आस-पास हो रहे हैं, जहां पर पुलिस की आवाजाही नहीं है। 

पुलिस गंभीर नहीं

बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों की ख़बरें शर्मसार करती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने साल 2012 में एक विशेष कानून बनाया था, जो बच्चों को छेड़छाड़, बलात्कार जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून को पॉक्सो एक्ट कहा जाता है। हैरत की बात है कि कानून विशेष बनाने के बाद भी बाल यौन उत्पीड़न के मामले नहीं थम रहे हैं। कुछ पीड़ितों के परिजन की मानें तो इस कानून के अंतर्गत थानों में मामले तो दर्ज कर लिए जाते हैं पर आरोपियों की धर-पकड़ को लेकर पुलिस गंभीर नजर नहीं आती है। हालांकि सहपुलिस आयुक्त शिवाजी बोडखे का कहना है कि समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर पुलिस कार्य कर रही है। 

कुछ मामले जो सामने आए

केस नंबर 1- हुडकेश्वर इलाके में एक 14 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। थाने पहुंचने पर शिकायत तक दर्ज नहीं की गई। यह मामला तब सामने आया, जब मीडिया को पता चला। अब इस मामले में पुलिस खुद जांच के दायरे में आ चुकी है। पुलिस आयुक्त डॉ. के. व्यंकटेशम गंभीर हुए, तो पीड़िता और उसके परिजन को बुलाकर शिकायत दर्ज की गई। लड़की का आरोप हैकि जब वह थाने में शिकायत दर्ज कराने गई, तब मारपीट कर थाने से भगा दिया गया था। समाजसेविका नूतन रेवतकर की पहल पर मामला सामने आया।
 
केस नंबर 2- गणेशपेठ इलाके में कुछ महीने पहले झोपड़पट्टी में रहने वाली लड़की के साथ तीन लड़कों ने सामूहिक दुष्कर्मकिया था। गणेशपेठ पुलिस ने पाॅक्सो के तहत प्रकरण दर्ज किया, लेकिन मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। इस प्रकरण में एक युवक ने दो नाबालिग के साथ मिलकर लड़की का यौन उत्पीड़न किया था। पीड़िता के परिजन के मुताबिक गणेशपेठ पुलिस शुरू से ही प्रकरण को लेकर गंभीर नहीं रही। जब थाने के सामने आवाज बुलंद की गई। नारेबाजी हुई, तब जाकर पुलिस होश में आई। अब इस प्रकरण में जांच शुरू होने की बात कही जा रही है।
 
केस नंबर 3- कामठी में जुलाई 2017 को 14 वर्षीय लड़की से उसके ही पिता ने दुष्कर्म किया। पीड़िता की मां ने पति की करतूत देखी तब उसके खिलाफ कामठी थाने में शिकायत दर्ज कराई। शुरू में पुलिस ने मामले को लेकर गंभीर हो गई थी। बाद में बस जांच शुरू होने की बात कहकर पीड़िता और उसकी मां को शांत कर दिया गया। पीड़िता और मां थाने के चक्कर लगाकर थक गए। थाने में जाने पर कभी संबंधित अधिकारी नहीं मिलते तो कभी काम का बोझ बता दिया जाता है। 

नागपुर में भी हैं विशेष न्यायाधीश 

दिल्ली में हुए निर्भया प्रकरण के बाद लैंगिक अपराध पर गंभीरता बढ़ी। इन मामलों में न्याय के लिए नागपुर में भी विशेष न्यायाधीश नियुक्त हैं। पॉस्को कानून की पहल में महिला और बाल विकास मंत्रालय का अहम योगदान है। 2012 की धारा 44 ने इस कानून के प्रावधानों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एनसीपीसीआर और राज्य आयोग के बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसी) को अधिकार दिया है। पॉक्सो अधिनियम की धारा 32 यह प्रदान करती है कि राज्य सरकार प्रत्येक विशेष न्यायालय के लिए केवल इस अधिनियम के प्रावधान के तहत मामलों का संचालन करने के लिए विशेष सरकारी अभियोजक नियुक्त करेगी। सहपुलिस आयुक्त शिवाजी बोडखे के मुताबिक पॉक्सो कानून के अंतर्गत पुलिस महकमा शहर के समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। पीड़िता को हर तरह की जानकारी दी जाती है। पुलिस गंभीरता से कार्य कर रही है।

Created On :   25 Sept 2017 9:51 PM IST

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