9000 से अधिक अनाधिकृत निर्माणकार्य, चलेगा प्रशासन का हथौड़ा

More than 9000 unauthorized construction work, the hammer of administration will run
9000 से अधिक अनाधिकृत निर्माणकार्य, चलेगा प्रशासन का हथौड़ा
नागपुर 9000 से अधिक अनाधिकृत निर्माणकार्य, चलेगा प्रशासन का हथौड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में बढ़ते अनाधिकृत निर्माणकार्य को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रशासन हरकत में आया है। उच्च अधिकारियों की बैठक में पाया गया है कि शहर में 9000 से अधिक निर्माणकार्य अनाधिकृत है। जिसे हटाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। शुक्रवार को नागपुर महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त ने नागपुर खंडपीठ में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में विस्तृत जानकारी दी है। दरअसल नागपुर खंडपीठ ने अनाधिकृत निर्माणकार्य हटाने के मुद्दे पर सू-मोटो जनहित याचिका दायर कर रखी है। हाईकोर्ट के आदेश पर ही मनपा अतिरिक्त आयुक्त, नासुप्र महाप्रबंधक और एनएमआरडीए अतिरिक्त आयुक्त के समावेश वाली संयुक्त निरीक्षण समिति गठित की गई है। 25 अप्रैल को इसकी बैठक हुई। जिसमें अनाधिकृत निर्माणकायों का 5 श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है। पहली श्रेणी के निर्माणकार्य गिराने में कोई न्यायालीन या अन्य बाधा नहीं है। इसे प्रशासन प्राथमिकता से हटाएगा। समिति के अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने इस कार्रवाई के िलए पुलिस की मदद जरुरी बताई। ऐसे में हाईकोर्ट ने इस संयुक्त समिति में पुलिस आयुक्त को भी शामिल करने के आदेश दिए है। मामले में एड.अपूर्व डे न्यायालय मित्र की भूमिका में है।


कहां, कितना अनाधिकृत निर्माणकार्य:

महानगरपालिका के अनुसार उनके अधिकार क्षेत्र में कुल 1521 अनाधिकृत निर्माणकार्य है। जिनमें से 948 को प्राथमिकता से गिराने का फैसला लिया गया है। >नागपुर सुधार प्रन्यास के अनुसार उनके अधिकार क्षेत्र में कुल 4675 अनाधिकृत निर्माणकार्य है। जिनमें से 1627 को प्राथमिकता से गिराने का फैसला लिया गया है। >एनएमआरडीए के अनुसार उनके सीमाक्षेत्र में करीब 3029 अनाधिकृत निर्माणकार्य है। जिनमें से 2093 को प्राथमिकता से गिराने का फैसला लिया गया है।

सू-मोटो याचिका दायर की हैगौरतलब है कि याचिकाकर्ता अजय तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके अनाधिकृत निर्माणकार्य हटाने का मुद्दा उठाया था। लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इसे सू-मोटो जनहित याचिका के रूप में चलाने का फैसला लिया था। यह मुद्दा विविध स्वराज संस्थाओं से जुड़ा होने के कारण हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों के उच्च अधिकारियों को संयुक्त बैठक लेकर इसका हल खोजने के आदेश दिए है।

Created On :   29 April 2022 10:03 PM IST

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