पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सुव्रत सागर ने कहा- यह मानसिकता बदलनी होगी

Muni Suvrat Sagar said in Parshvanath Digambar Jain Temple – this mindset has to be changed
पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सुव्रत सागर ने कहा- यह मानसिकता बदलनी होगी
भाषा और संस्कृति से हम आज भी विदेशों के गुलाम पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि सुव्रत सागर ने कहा- यह मानसिकता बदलनी होगी

डिजिटल डेस्क,शहडोल। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम लोग 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस का मांगलिक कार्यक्रम मनाए। ऐसा मनाते हमें 75 वर्ष हो गए और इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मनाने को हम तैयार हैं। किंतु क्या वास्तव में हम स्वतंत्र हुए हैं। 75 वर्षों के उपरांत भी हमने अपनी गुलामी की मानसिकता को नहीं बदला प्रतिवर्ष आजादी का अमृत महोत्सव बनाते हैं किंतु हम अपनी भारत माता का गौरव का दिवस नहीं मना पाते। उक्त बातें पाŸवनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शहडोल स्थित पारस विद्या भवन में उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते मुनि सुव्रत सागर ने कही। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम वास्तव में देश प्रेम पर राष्ट्रभक्ति के प्रति समर्पित होते तो शायद या तो हम गुलाम ही नहीं होते या फिर हमें अपनी स्वतंत्रता की कहानी का स्वाभिमान स्वयं ज्ञात होता लेकिन वास्तव में देखा जाए तो हम अपने देश के प्रति समर्पित है ही नहीं। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए बताया कि जापान में आज भी लोग देश के प्रति समर्पित हैं इसलिए कभी जब जापान पर 7 देशों का राज था तभी उसने बिना लड़ाई लड़े स्वतंत्रता प्राप्त की थी, मात्र अपने देश प्रेम के कारण। देशभक्ति से उन्होंने विश्व में अपनी मिसाल कायम की।

मुनिश्री ने कहा कि काश ऐसा ही प्रत्येक भारतवासी अगर अपने देश के प्रति प्रेम करने लगे तो हमें अपना गौरव प्राप्त होगा। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह भी कहा कि अंग्रेज चले तो गए किंतु अपनी अंग्रेजी की मानसिकता हम पर छोड़ कर गए अभी भी हम भाषा से या संस्कृति से अंग्रेजों के गुलाम बने हुए हैं अगर हम चाहें तो अपने भारत के प्रति भक्ति या देश के प्रति प्रेम बना कर हम अपने गुलाम होने की परिचय से दूर हो सकते हैं। अर्थात हम भी स्वतंत्र हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के अवसर पर हर घर तिरंगा फहराना चाहिए और धर्म के प्रति भी अपना झंडा रखना चाहिए। मुनि श्री ने कहा की देश प्रेम और धर्म प्रेम में देश प्रेम सर्वोपरि है जिस देश का माहौल अच्छा रहेगा उस देश में ही धर्म का पालन हो सकता है इसलिए धर्म प्रेमी देश प्रेमी मानकर हमें सर्वप्रथम देश की स्वतंत्रता की कामना करनी चाहिए।

 

Created On :   17 Aug 2022 8:20 AM GMT

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