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वन विभाग की शर्तें नहीं मानने पर काम से छुट्टी, बेरोजगार हुए युवा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पेंच टाइगर रिर्जव के बफर जोन में सिल्लारी गेट के पास स्थित पिपरिया गांव के ग्रामपंचायत के श्यामा प्रसाद योजना के निर्देश के अनुसार ग्राम पंचायत सामिति नहीं बनाने के कारण गांव के पचास से अधिक युवाओं को काम से हाथ धोना पड़ा है। गत 29 अगस्त को पिपरिया ग्राम पंचायत में रेंज ऑफिसर के साथ हुई बैठक में स्टॉप पेपर पर ग्राम समिति गठित करने की बात लिखकर देने से इनकार कर देने के बाद यह कार्रवाई की गई। राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी लाने के उदेश्य से श्यामा प्रसाद योजना शुरू की गई है। इसके तहत वन के आसपास विशेष कर संरक्षित वन के बफर जोन में स्थित गांवों के लाेगों के लिए संसाधनों के विकास के रोजगार बढ़ाने पर जोर दिया गया है ताकि लोगों की वनों पर निर्भरता कम हो। हालांकि गांव के लोगों को विश्वास में लिए बगैर योजना की शर्तें लागू करने के कारण मदद से ज्यादा परेशानी खड़ी हो रही है।
युवा हुए बेरोजगार
वन विभाग की कार्रवाई से पिपरिया के पचास से अधिक युवा बेराजगार हो गए हैं। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। युवा हंगामी मजदूर के रूप में वन विभाग की ओर से गश्त समेत अन्य कार्य करते थे। महिलाएं वन विभाग के द्वारा संचालित नेचर क्लब में काम करती थीं। उन्हें हर तीन माह के अंतराल पर तीन माह के लिए रोजगार मिलता था। फिलहाल सभी वन विभाग के तहत कार्य कर रहे थे, लेकिन उन्हें दो माह के बाद ही काम से निकाल दिया गया। बेरोजगार होने वाले युवाओं में रवि मेश्राम, हरिचंद सोनटक्के, पुरुषोत्तम टेकाम, शीतल वाडीवे, नीलकमल मेश्राम, लीलीाधर उइके, अजय मडावी, अजय बोरकर, सुनील सिरशाम, मुकेश सोनटक्के, महेंद्र तिचखेड़े, राजेश गजभिए, अक्षय परोते, शरद कोहड़े, निशांत चौधरी, रामकृष्ण खंडाते व महिलाओं में शांति मडावी, सुरेखा कुरवते, वंचला उइके, रमा मातड़े, कुसुम खंडाते और कुसुम मलावी शामिल हैं।
गांव वाले समिति बनाने राजी क्यों नहीं
समिति के सदस्य भीमराव वालके के मुताबिक ग्राम पंचायत की वर्तमान समिति को आवंटित रोजगार संबंधी कार्यों के लिए दस लाख की राशि का कोई हिसाब किताब सामने नहीं आया है। ऐसे में पुरानी समिति को भंग कर नई समिति कैसे बनाई जा सकती है। इसके साथ गांव वाले वन पशुओं को गंाव में चराने और उन्हें तालाब में पानी पिलाने की इजाजत भी चाहते हैं, जिस पर वन विभाग ने रोक लगा दी है।
एसीएफ अतुल देवकर के मुताबिक ग्राम पंचायत के केवल एक गांव पिपरिया में समस्या है। बाकी चारों गांव में ग्राम समिति बनाए जाने के बाद उसके माध्यम से रोजगार प्रदान किया जारहा है। विभाग तभी रोजगार संबंधी कार्य शुरू कर सकता है जब ग्राम समिति का गठन किया जाएगा। पिपरिया के ग्रामीणों के लगता है कि उन्हें उनके वन अधिकार से वंचित कर दिया जाएग। वन पर हक का मामला एसडीओ के अधिकार क्षेत्र में आता है। वन हक्क समिति लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं करा सकती है। यह कार्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी योजना के तहत ही संभव है।
Created On :   3 Sept 2019 9:49 PM IST