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यूनिवर्सिटी का गजब कारनामा, पोर्टल पर हैं रिटायर्ड व डेड टीचर्स के नाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर यूनिवर्सिटी की ढुलमुल कार्यप्रणाली सामने आ रही है जिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। दरअसल यहां होने वाली पीएचडी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिहाज से कई अहम बदलाव किए हैं, लेकिन यूूनिवर्सिटी के ऐसे ही कुछ फैसले उलटे पड़ गए हैं। हाल ही में यूूनिवर्सिटी ने पीएचडी प्रक्रिया को हाईटेक बनाने के उद्देश्य से वेबपोर्टल शुरू किया है। रजिस्ट्रेशन से लेकर, रिसर्च सेंटर की वैकेंसी, गाइड की उपलब्धता जैसी जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन आश्चर्य यह है कि इस पोर्टल पर यूूनिवर्सिटी ऐसे-ऐसे गाइड की उपलब्धता दर्शा रहा है, जो वर्षों पूर्व रिटायर्ड हो गए हैं या उनकी मृत्यु हो गई है। ऐसे में यूूनिवर्सिटी ने शोधार्थियों की नींदे उड़ा रखी है। यूूनिवर्सिटी के इस तरह के कामकाज पर आश्चर्य जताया जा रहा है।
खतरे में पड़ सकती है शोधािर्थयों की पीएचडी
नियमों के अनुसार यूूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर स्तर के गाइड को 8 शोधार्थी, एसोसिएट स्तर के गाइड को 6 शोधार्थी और असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के गाइड को 4 शोधार्थी रखने की अनुमति दी है। मगर कुछ गाइड के पास 10 शोधार्थी हैं। कुछ प्रोफेसर स्तर के गाइड के पास 8 शोधार्थियों का विकल्प होते हुए सिर्फ चार शोधार्थी दर्शा कर वैकेंसी निल दिखाई जा रही है। गाइड की उपलब्धता पर यूूनिवर्सिटी के एक और फैसले का स्वयं यूूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विरोध कर रहे हैं। दरअसल नियमों के अनुसार गाइड बनने के लिए मान्यता प्राप्त पोस्ट ग्रेजुएट टीचर होना अनिवार्य है। मगर नागपुर यूूनिवर्सिटी ने गाइड की संख्या बढ़ाने के लिए पांच वर्ष का अनुभव प्राप्त अंडर ग्रेजुएट शिक्षक को भी गाइड के रूप में मान्यता दी है, बाकायदा इसके लिए यूूनिवर्सिटी ने पत्र भी जारी किया है। इसका विरोध कर रहे प्रोफसरों का एक वर्ग मानता है कि यह दिशा-निर्देशों का सीधे-सीधे उल्लंघन है। वक्त आने पर इसके कारण शोधार्थी की पीएचडी भी खतरे में पड़ सकती है। इन तमाम विसंगतियों के बीच से निकल कर स्टूडेंट्स को हर हाल में 16 अप्रैल तक यहां अपना रजिस्ट्रेशन कराना है। इसके बाद आरआरसी की अनुमति के बाद वे अपनी रिसर्च शुरू कर सकेंगे, लेकिन रजिस्ट्रेशन में आ रही परेशानियों ने अभ्यर्थियों की नींद उड़ा रखी हैं।
Created On :   7 April 2018 4:33 PM IST