प्याज आयात-निर्यात नीति में परिवर्तन की जरुरत, केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा 1-10 तक में नए सेक्शन खोले जाएं

Need for change in onion import-export policy
प्याज आयात-निर्यात नीति में परिवर्तन की जरुरत, केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा 1-10 तक में नए सेक्शन खोले जाएं
प्याज आयात-निर्यात नीति में परिवर्तन की जरुरत, केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा 1-10 तक में नए सेक्शन खोले जाएं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रावेर से लोकसभा सदस्य रक्षा खड़से ने सोमवार को सदन में केन्द्र की प्याज आयात-निर्यात नीति को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि प्याज आयात व निर्यात की व्यापक एवं ठोस नीति नहीं होने के कारण प्याज उत्पादक किसानों को भारी मात्रा में नुकसान उठाना पड़ रहा है। सांसद खड़से ने नियम 377 के तहत इस मसले को उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में किसान प्याज की खेती करते हैं। प्याज के कुल उत्पादन में 75 से 80 प्रतिशत प्याज नाशिक, जलगांव, बुलढाणा और धुलिया जिलों से होता है। उनके संसदीय क्षेत्र में भी कपास के बाद प्याज का उत्पादन लिया जाता है। उन्होंने सदन को बताया कि केन्द्र सरकार की प्याज आयात-निर्यात नीति व्यापक एवं ठोस नहीं है। इससे प्याज किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि सरकार द्वारा उचित आयात व निर्यात नीति का गठन किया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्याज की ट्रेडिंग का लाभ भारतीय प्याज उत्पादक किसानों को हो सके। कोरोना महामारी से जो किसानों का हुआ है, उसमें थोड़ी राहत किसानों को मिलेगी, तथा कृषि प्याज उत्पादक का सही दाम बाजार से प्राप्त होगा।

केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा 1-10 तक में नए सेक्शन खोले जाएं

वहीं लातूर से सांसद सुधाकर श्रृगांरे लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र के केन्द्रीय विद्यालय, बीएसएफ में कक्षा 1 से 10 तक नए अनुभाग शुरु कराए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सदन में सरकार से मांग की कि क्षेत्र के चाकूर में केन्द्रीय विद्यालय, बीएसएफ के बनाए गए नए भवन में 1-10 तक सभी कक्षाओं में प्रत्येकी एक-एक सेक्शन को बढ़ाए जाने के आदेश दिए जाए। सांसद श्रृगांरे ने सोमवार को नियम 377 के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र तथा इसके आसपास के इलाकों में ऐसे कई छात्र-छात्राएं है, जो केन्द्रीय विद्यालय, बीएसएफ, चाकूर में दाखिला लेने के पात्र है, लेकिन क्षमता कम होने के कारण ऐसे सभी छात्रों का प्रवेश पाना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सदन को बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने कक्षा 1 से 10 तक प्रत्येक कक्षा में एक-एक अनुभाग बढ़ाया जाए, लेकिन जगह नहीं होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। चूंकि चाकूर में केन्द्रीय विद्यालय, बीएसएफ के नए भवन का निर्माण हो गया है और नया भवन इस स्कूल को उपलब्ध भी करवा दिया गया है। नए भवन में पर्याप्त सेक्शन खोलने के लिए पर्याप्त कमरे भी उपलब्ध हैं। लिहाजा सरकार से आग्रह है कि इन कक्षाओं में नए सेक्शन शुरु कराने के जल्द से जल्द आदेश दिया जाए।

संसद में हंगामा : नए मंत्रियों का परिचय नहीं करा सके प्रधानमंत्री

सोमवार को संसद के मानसून सत्र की शुरूआत जोरदार हंगामे के साथ हुई। सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में मंत्रियों का परिचय ठीक से नहीं करा पाए। उन्हें मंत्रियों की सूचि आखिरकार सदन के पटल पर रखनी पड़ी। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के इस रवैए को महिला एवं दलित विरोधी मानसिकता का परिचय करार दिया। विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होने कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और महिला मंत्रियों का यहां परिचय कराया जाए। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने जब नए मंत्रियों का सदन में परिचय देना शुरू किया, उसी दौरान दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के सदस्यों को शांत रहने और मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की, परंतु उनकी अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ और सदन में हंगामा जारी रहा। 

विपक्ष के हंगामे पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं सोच रहा था कि सदन में एक उत्साह का वातावरण होगा, क्योंकि बड़ी संख्या में हमारी महिला सांसद मंत्री बनी हैं। आज खुशी का माहौल होगा कि आदिवासी साथी बड़ी संख्या में मंत्री बने हैं। किसान परिवार और ग्रामीण परिवेश से आने वाले सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समाज से आने वालों को बड़ी संख्या में मंत्रिपरिषद में स्थान मिला है, उनके परिचय से खुशी होनी चाहिए थी’। उन्होने कहा कि दलित मंत्री बनें, महिला मंत्री बनें, ओबीसी बनें, किसान परिवारों के लोग मंत्री बनें, शायद यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है। इसलिए वह उनका परिचय भी नहीं होने देते। राज्यसभा में उन्होने कहा कि यह कौन सी मानसिकता है कि आदिवासी के बेटे, दलित के बेटे और किसान के बेटे को गौरव देने को लोग तैयार नहीं है?

 
 

Created On :   19 July 2021 9:58 PM IST

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