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लापरवाही के मामले : जिन्दा मरीज का बना दिया मृत्यु प्रमाणपत्र, दूसरे की डेथ शीट पर लगा था खून
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना मरीजों को लेकर शहर के अस्पतालों में ऐसी आपाधापी मची है कि जीवित मरीज को मृत बता कर उसका मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया है। जब परिजनों ने शव देखा, तो वह किसी और मरीज का शव निकला। जांच करने पर पता चला कि मौत किसी और की हुई और मृत्यु प्रमाणपत्र किसी और मरीज का बना दिया गया। जीवित मरीज के परिजनों को यह सूचना मिलने के बाद उन्होंने अंतिम संस्कार की तैयारी भी कर ली थी। जामठा स्टेडियम के पास स्थित कोविदालय अस्पताल में शुक्रवार की रात करीब 10 बजे मरीज को भर्ती किया गया। मरीज का नाम आशा मून (63) शताब्दी चौक, काशीनगर निवासी है। उनके सीटी स्कैन में इंफेक्शन निकला था, इसलिए उन्हें कोविदालय में भर्ती कराया गया था। मरीज का कोविड सैंपल लिया गया था, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई थी। मरीज को भर्ती करने के बाद रिश्तेदारों को घर भेज दिया गया। इसके बाद शनिवार को सुबह करीब 8 बजे अस्पताल की ओर से फोन आया, जिसमें बताया गया कि मरीज की हार्टअटैक से मौत हो गई है।
अनजाने में गलती हुई है।
डॉ. मोहन गायकवाड़ पाटील, चेयरमैन, गायकवाड़ ग्रुप ने बताया कि सुबह एक मरीज की मौत हुई थी। उस समय जो नर्स थी, उसका ड्यूटी टाइम खत्म हो रही थी। उसने जल्दबाजी में उस पेशंेट की फाइल रिसेप्शन पर रख दी। वहां दो फाइलें रखी थीं। रिसेप्शनिस्ट ने उस दूसरी फाइल के आधार पर परिजनों काे फोन लगा दिया और सर्टिफिकेट बनाया। बाद में जब परिजन अस्पताल आए, तो उन्होंने बॉडी देख कर मना किया कि यह हमारे मरीज का शव नहीं है। रिसेप्शनिस्ट ने कहा भी कि फाइल के कारण गलती हुई है। हमने सर्टिफिकेट में गलत नाम डाल दिया है, जिसे हम ठीक कर देते हैं। मरीज के परिजनों ने वह सर्टिफिकेट उठा लिया। यह अंजाने में हुई गलती थी, जिसे हमने तुंरत सुधार लिया।
जाते ही मृत्यु प्रमाणपत्र दे दिया
नरेश ढेंगरे, मरीज के भाई ने कहा कि हमने मरीज को शुक्रवार को भर्ती किया। शनिवार सुबह अस्पताल से फोन आया, जिसमें हमारे मरीज की मौत की होने की जानकारी दी। जब हम अस्पताल पहुंचे, तो उन्होंने कागजी कार्रवाई कर हमें मृत्यु प्रमाणपत्र दे दिया। बाद में जब बॉडी देखी, तो हमारे मरीज की नहीं थी। बाद में वार्ड में देखा, तो हमारी मरीज बेड पर बैठी थीं।
अस्पताल ने मानी गलती
मरीज की मृत्यु की जानकारी मिलते ही परिवार वालों ने अपने रिश्तेदाराें को फोन कर जानकारी देना शुरू कर दिया। साथ ही अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी शुरू कर दी। मरीज के परिजन 9.30 बजे अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें अस्पताल वालों ने मृत्यु प्रमाणपत्र भी दे दिया। जब परिजनों ने शव देखा, तो वह उनके मरीज का नहीं था। उसके बाद जब वे लोग वार्ड में गए, तो आशा मून बेड पर बैठी थीं। इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने अपनी गलती स्वीकार की। स्टाफ का कहना था कि मरीज की फाइल बदलने से यह घटना हुई।
शव देखते ही भड़क गए परिजन डेथ शीट के ऊपर लगा था खून
वहीं दूसरे मामले में कोरोना मरीज के शव को ठीक से नहीं रखने का मामला सामने आया। शनिवार को धंतोली स्थित न्यूरॉन हॉस्पिटल में एक ऐसा ही मामला सामने आया। जिसमें अस्पताल की लापरवाही देखने को मिली। परिजन शव देखते ही भड़क गए, खून से लथपथ शव देखकर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। मृतक शहाबुद्दीन रैन के रिश्तेदार छोटे साहब खान ने बताया कि हमारे मरीज को 3 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। शनिवार को जब हमें जानकारी मिली कि हमारे मरीज की मौत हो गई है, तो हम सब अस्पताल पहंुचे। शव को मनपा कर्मचारियों को सौंपा गया। हम सभी भी वहां खड़े थे। जैसे ही शव को बाहर लाया गया, तो देखा कि शव खून से लथपथ था। शव पीपीई किट में तो था, लेकिन उसे स्ट्रेचर में औंधा रखा था। नाक और कान में रुई भी नहीं लगी थी। पीपीई किट में भी खून लगा था। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन से शिकायत की। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
डॉ. ईश्वर चांदेवार, कोविड इंचार्ज, न्यूरॉन अस्पताल के मुताबिक मृतक कोविड-19 का मरीज था। सीवियर लंग्स इंफेक्शन था। खून का बहाव हो रहा था। पेशेंट को गले के ऊपर ट्यूब लगाई गई थी। डेथ होेने के बाद ट्यूब निकालनी पड़ती है। ट्यूब निकालने के बाद वहां से थोड़ा बहुत खून आता है। शव में जो खून लगा है, उसमें कफ भी था। यह मामला मरीज को छठवें फ्लोर से शिफ्ट करते वक्त हुआ है। जैसे ही हमें यह दिखा, तुरंत शव को ऊपर लेकर गए। साफ किया, नए कपड़े पहनाए, साथ ही नया बैग भी दिया। उसके बाद मनपा कर्मचारियों को सुपुर्द किया गया।
Created On :   11 April 2021 5:32 PM IST