अस्पताल में न डॉक्टर न मरीज, राजनीतिक खींचतान में सरकार के करोड़ों रुपये पानी में

Neither doctor nor patient in hospital, government crores of rupees waste
अस्पताल में न डॉक्टर न मरीज, राजनीतिक खींचतान में सरकार के करोड़ों रुपये पानी में
अस्पताल में न डॉक्टर न मरीज, राजनीतिक खींचतान में सरकार के करोड़ों रुपये पानी में

डिजिटल डेस्क,नागपुर। कामठी रोड पर इंदोरा में डॉ.बाबासाहब आंबेडकर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर राजनीतिक खींचतान और प्रशासनिक लापरवाही के कारण आज बदतर हाल में है। आठ एकड़ में फैले इस सेंटर के लिए कई योजनाएं बनीं और असफल हो गयी।  सर्वप्रथम यहां मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का था। उसके बाद यहां सेंटर ऑफ एक्सेलेंस फॉर सिकलसेल सेल डीजिज शुरू करने की योजना सामने आई। सेंटर के जीएमसीएच में चले जाने पर यहां जिला अस्पताल शुरू करने की योजना सामने आई। अब मानकापुर स्थित क्षेत्रीय मानसिक अस्पताल के पास जिला अस्पताल बनने जा रहा है। तीन महत्वाकांक्षी प्राेजेक्ट पर काम नहीं हाेने के कारण डॉ.बाबासाहब आंबेडकर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ओपीडी के रूप में भी सफल तस्वीर बनाने में असफल रहा है। आसपास के लोगों में सेंटर के प्रति विश्वास की कमी के कारण इक्का-दुक्का मरीज सेंटर में उपचार के लिए पहुंचते हैं। उन्हें भी कभी डॉक्टर नहीं मिलते, तो कभी दवाइयां। क्षेत्र के जन प्रतिनिधि के अनुसार यह अस्पताल कर्मचारियों के लिए हॉलीडेहाेम है। उन्हें पता  है यहां न मरीज आएंगे न उन्हें  काम करना पड़ेगा।

परिसर बना कचराघर

आठ एकड़ में फैला सेंटर का परिसर घोर उपेक्षा झेल रहा है। पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण सेंटर खुले में शौच, असामाजिक तत्वों का अड्डा और कचरा फेंकने की जगह में तब्दील हो चुका है। चारदीवारी टूटी होने के कारण आसपास के लोग परिसर का इस्तेमाल मुख्य सड़क पर पहुंचने के लिए करते नजर आते हैं। पूरे परिसर में बेतरतीब झाड़ियां फैली हैं। साफ सफाई का अभाव है। यहां तक कि परिसर में मरीज और परिजनों से ज्यादा एेसे लोग नजर आते हैं, जिन्होंने इसे मीटिंग पाइंट बना रखा है। शुक्रवार को डोर टू डोर ब्रिकी करने वाली महिलाओं की टोली अस्पताल परिसर में नजर आईं, उन्होंने बताया कि यह उनका मीटिंग पाइंट है। टीम लीडर के आने के और उनका स्टॉक मिलने पर वे अपने-अपने काम पर निकल जाएंगी। 

सुविधाओं का अभाव

आईजीजीएचसीएच की ओर से संचालित स्वास्थ्य केंद्र में आज गिनती के मरीज पहुंचते हैं। ओपीडी के स्तर पर चिकित्सा सेवा उपलब्ध है। हालांकि यहां न दंत चिकित्सक आते हैं और न ही ईएनटी के मरीजों को देखा जाता है। यानी ओपीडी के स्तर पर भी पूरी सुविधा नहीं है। यहां थैलीसीमिया और सिकलसेल सेंटर शुरू किया जाना था। मेडिकल के अनुसार यहां कई विभागों की जरूरत होगी ऐसे मेडिकल में ही सेंटर शुरू किया जाना चाहिए। स्टॉफ की सुविधा देखते हुए यह निर्णय लिया गया। मल्टी स्पेशलिटी भी हवा में चला गया और जिला अस्पताल मानकापुर चला गया। 

नागपुर के लिए बड़ा नुकसान

नागपुर सहित विदर्भ में सिकलसेल की गंभीर समस्या है। इसी के मद्देनजर डॉ.बाबासाहब आंबेडकर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को बेहतरीन थैलेसीमिया व सिकलसेल सेंटर बनाने की योजना थी। हम सब ने गंभीर प्रयास किए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी योजना के लिए हामी भर दी थी, लेकिन जीएमसीएच के पूर्व डीन अभिमन्यु निसवाडे के अनुसार सेंटर के लिए कई विभागों के विशेषज्ञों की जरूरत होगी, ऐसे में सेंटर जीएमसीएच में खोला जाना चाहिए। अब सेंटर जीएमसीएच में शुरू किया जाना है, लेकिन अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में नुकसान आम लोगों का ही हुआ है। सेंटर शुरू होने से सिकलसेल के मरीजों को काफी लाभ मिल सकता था।
-डॉ. विंकी रुघवानी, संस्थापक अध्यक्ष, थैलेसीमिया सोसाइटी ऑफ सेंट्रल इंडिया

बनकर रह गया फर्जी ओपीडी

जीएमसीएच के डीन की सलाह पर सिकलसेल सेंटर जीएमसीएच चला गया। फिर जिला अस्पताल बनाने की बात हुई। मानकापुर में जमीन को लेकर परेशानी के चलते मैंने यहां जिला अस्पाल बनाने का सुझाव दिया। फिलहाल इसकी हालत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर हालत में है। हां बस बुखार और सामान्य सर्दी खांसी बुखार का उपचार हो पाता है। मैं इसे फर्जी ओपीडी ही कहता हूं। यहां के कर्मचारियों के लिए यह हॉलीडेहोम बन गया है।  - डॉ. मिलिंद माने, विधायक उत्तर नागपुर

आपबीती 
अपने सात वर्षीय बेटे को दांत की समस्या के लिए अस्पताल पहुंचे सुनील थुल ने बताया कि यह कोई सुविधाएं नहीं है। अगर सरकार ने अस्पताल शुरू किया है तो इसका लाभ लोगों को मिलनी चाहिए।

बीपी और शुगर के उपचार के लिए अस्पताल आए डोमिनिक वाज ने बताया कि सेंटर में कई बार दवाइयां नहीं मिलती हैं। बाहर से खरीदने या मेयो जाने के लिए कहा जाता है। 

फरजाना खान अपनी साठ वर्षीय मां को टाइफायड के उपचार के लिए सेंटर में लेकर आई थीं। उन्होंने अस्पताल कर्मचारियों के ठीक से व्यवहार नहीं करने की बात करते हुए कहा कि यहां आने वाले कई मरीज निर्धन व अनपढ़ होते हैं उन्हें कोई बात ठीक से नहीं बताया जाएगा, तो वे कैसे समझेंगे। 
 

Created On :   31 Aug 2019 6:03 PM IST

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