गुजरात से बेहतर है महाराष्ट्र में आंगनवाड़ियों का नेटवर्क, उम्र के हिसाब से शिक्षा सही

Network of anganwadis in maharashtra is better than gujarat, education is good according to age
गुजरात से बेहतर है महाराष्ट्र में आंगनवाड़ियों का नेटवर्क, उम्र के हिसाब से शिक्षा सही
गुजरात से बेहतर है महाराष्ट्र में आंगनवाड़ियों का नेटवर्क, उम्र के हिसाब से शिक्षा सही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बच्चों की जब खेलने-कूदने व चित्र देखने की उम्र होती है, तब उनका दाखिला स्कूल में कर दिया जाता है। कम आयु में स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों पर भविष्य में विपरीत असर पड़ सकता है। 6 साल की आयु पूरी करने के बाद बच्चे का जब पहली कक्षा में दाखिल होना चाहिए, तब वह दूसरी कक्षा में पढ़ता है, यह बच्चे व शिक्षा नीति की सेहत के लिए ठीक नहीं है। हालांकि महाराष्ट्र व कर्नाटक में अन्य राज्यों की तुलना स्थिति बेहतर हाेने का दावा विभागीय आयुक्त डाॅ. संजीवकुमार व एन्यूअल स्टेट्स आफ एजुकेशन रिपोर्ट (एसर) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रुक्मिनी बैनर्जी ने किया। 

विभागीय आयुक्त डाॅ. संजीवकुमार व एसर की सीईओ बैनर्जी ने विभागीय आयुक्तालय में हुई पत्रकार वार्ता में बताया कि 4 से 8 साल के बीच के कितने बच्चे स्कूल जाते हैं आैर कितने बच्चे खेलकूद में या आंगनवाड़ी में जाते हैं, इसका रेंडमली डाटा तैयार किया गया है। 26 राज्यों में महाराष्ट्र व कर्नाटक की स्थिति अच्छी है। महाराष्ट्र की स्थिति गुजरात से अच्छी है। इस मामले में महाराष्ट्र 90 फीसदी व गुजरात 70 फीसदी है। नागपुर की स्थिति भी काफी अच्छी है। यहां अधिकांश पालक शिक्षित हैं। जिले के 60 गावों का चयन किया गया था और 20 परिवारों के 4 से 8 आयु वर्ग के बच्चों की गतिविधियों की जानकारी ली गई। 4 से 8 साल के 96 बच्चे पढ़ने जाते हैं। नागपुर में 6 साल के 46.4 फीसदी बच्चे पहली कक्षा में, 33 फीसदी बच्चे प्री प्राइमरी व केवल 16 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा में पढ़ते हैं। 

निजी स्कूल बेहतर
नागपुर सहित महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी (प्री प्राइमरी) का नेटवर्क बहुत तगड़ा होने से बच्चों को 6 साल पूरा होने पर ही पहली कक्षा में प्रवेश मिलता है। सरकारी स्कूलों की तुलना निजी स्कूलों में आैर बेहतर स्थिति है। 6 साल पूरे होने पर ही पहली कक्षा में दाखिला दिया जाता है। 6 साल से कम आयु के 37.4 फीसदी बच्चे अक्षर पहचानते हैं। 6 साल के 59 फीसदी बच्चे अक्षर पहचानते हैं। चित्र, रंग, अक्षर, अंक पहचानने में मदद मिलती है। स्कूल या पढ़ाई का बोझ नहीं पड़ने से बच्चों को भविष्य में इसका लाभ मिलता है। 6 साल से कम आयु में पहली कक्षा में दाखिल करना ठीक नहीं है। विभागीय आयुक्त डॉ. संजीवकुमार के हाथों एसर-2019 अरली इयर्स रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया। इस दौरान जिला परिषद के सीईआे संजय यादव, एसर के भालचंद्र सहारे आदि उपस्थित थे।
 

Created On :   17 Jan 2020 1:50 PM IST

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