आदिवासी और नक्सल प्रभावित इलाकों में न सड़कें न पानी, फिर कैसा विकास ?

no raods,no water in tribal and naxal affected areas of Maharashtra
आदिवासी और नक्सल प्रभावित इलाकों में न सड़कें न पानी, फिर कैसा विकास ?
आदिवासी और नक्सल प्रभावित इलाकों में न सड़कें न पानी, फिर कैसा विकास ?

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। विदर्भ के गोंदिया जिले के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित तहसील सालेकसा के गांव बुनियादी सुविधाओं से मोहताज हैं। यहां की स्थिति सरकारी घोषणाओं को मुंह चिढ़ाती दिखाई पड़ती हैं। दर्रेकसा ग्राम पंचायत अंतर्गत आनेवाली बस्तियां ऐसी है, जहां आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता, जबकि सरकार आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए करोड़ों की योजनाएं अमल में लाई जा रही हैं। सालेकसा तहसील के ग्राम मुरकुटडोह क्र.1, मुरकुटडोह क्र. 2, मुरकुटडोह क्र.3, दंडारी एवं टेकाटोला ऐसे उपेक्षित ग्राम है, जहां पहुंचने के लिए न तो अच्छी सड़कें बन पाई है और न ही अन्य सुविधाएं। बारिश के दिनों में इन ग्रामों का तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। मुरकुटडोह क्र.1 के निवासी सोमनाथ वरखड़़े, रामलाल धुर्वे, धनुलाल मड़ावी, नंदलाल इनवाते सहित अन्य ग्रामीणों ने चर्चा करते हुए बताया कि लगभग 2-3 वर्षों से वहां की जिप शाला का ताला तक नहीं खुला हैं। सैकड़ों घरों में बिजली तक नहीं पहुंची है, ऐसे में मवेशियों पर संक्रामक बीमारियों का प्रकोप हुआ तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। 

आदिवासी बहुल इलाकों में सरकारी योजनाओं पर उठे सवाल 

मरीजों को 20-25 किमी दूरी पहाड़ी इलाकों और टूटी-फूटी सड़कों से लाया जाता है। एसे में अक्सर जान पर बनी रहती है। गांववासियों ने बताया कि बारिश में रस्ते खराब होने से इन पहाड़ियों से शॉर्टकट अपनाकर मरीजों को खटिया पर ले जाया जाता हैं। लंबी दूरी होने से कई मरीजों ने रास्ते में ही दम तोड़ा हैं। यह जानकारी टेकाटोला के पूर्व पुलिस पटेल चैनलाल पंधरे व चमन मड़ावी ने दी। उन्होंने कहा कि मरीजों के लिए फोर व्हीलर नहीं, बल्कि खटिया से बनाया जोंगा ही एम्बुलेंस है। 

ग्रामों में मोबाइल को नेटवर्क तक नहीं

एक ओर जहां डिजिटल इंडिया की बात हो रही है, वही इन ग्रामों में मोबाइल को नेटवर्क तक नसीब नहीं होता। यहां न स्वास्थ्य सुविधा, न शिक्षा की सुविधा न ही गांव पहुंचने के लिए सड़क है, जिससे यह कैसा डिजिटल इंडिया यही सवाल उठ रहा है। दर्रेकसा समीप के धनेगांव ग्राम से मुरकुटडोह क्र. 1 ग्राम तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐेसे में शासन द्वारा बरसों से आदिवासियों एवं उनके इलाकों का विकास किए जाने का वादा कितना खोकला है, यही साबित होता है।
 

Created On :   12 Nov 2017 3:20 PM IST

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