उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने जारी एनओसी, औरंगाबाद को लेकर प्रक्रिया जारी 

NOC continues to name Osmanabad as Dharashiv, process continues for Aurangabad
उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने जारी एनओसी, औरंगाबाद को लेकर प्रक्रिया जारी 
केंद्र सरकार उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने जारी एनओसी, औरंगाबाद को लेकर प्रक्रिया जारी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई. केंद्र सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि उस्मानाबाद जिले का नाम धाराशिव करने के राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को  अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी कर दिया गया है। जबकि औरंगाबाद जिले का नाम संभाजीनगर करने को लेकर एनोसी जारी करने की प्रक्रिया अभी शुरु है। बुधवार को एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। जबकि राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी वकील ने कहा कि उनका हलफनामा तैयार है उसे दायर करने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए। 

हाईकोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से राज्य सरकार की ओर से दोनों जिलों के नाम में बदलाव को लेकर भेजे गए प्रस्ताव की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। जबकि राज्य सरकार से पूछा है कि उसने किन परिस्थितियों के मद्देनजर इन दोनों जिलों का नाम बदलने का फैसला किया  है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा था कि क्या इन दोनों जिलों के बदले हुए नाम का इस्तेमाल करने को लेकर सरकारी अधिकारियों को कोई अधिसूचना जारी की गई है।

औरंगाबाद जिले का नाम छत्रपति संभाजी नगर किए जाने के खिलाफ औरंगाबाद निवासी मोहम्मद मुस्ताक अहमद,अन्ना साहब खंडारे व राजेश मोरे ने जनहित याचिका दायर की है। जबकि उस्मानाबाद का नाम धाराशिव किए जाने को लेकर उस्मानाबाद के निवासी किशोर गजभिये ने दायर की है।

बुधवार को कार्यवाहक न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल श्री सिंह ने कहा कि उस्मानाबाद का नाम धाराशिव किए जाने को लेकर केंद्र सरकार ने एनओसी जारी कर दी है। जबकि औरंगाबाद के बदले हुए नाम के विषय में एनओसी जारी करने की प्रक्रिया जारी है। 

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता प्रज्ञा तलेकर ने खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य के सार्वजनिक विभाग की ओर से राज्य महामार्ग में दोनों जिलों के बदले हुए नाम के अनुसार मिल के पत्थर लगाए जा रहे है।  सरकारी अधिकारी अपने आधिकारिक पत्रों में दोनों जिलों के बदले हुए नाम का इस्तेमाल कर रहे है। नियमानुसार दोनों जिलों का नामंतरण से पहले न तो आपत्तियां मंगाई गई है और न ही ऐसा फैसला लेने के लिए मजबूर करनेवाले कारण का खुलासा किया।

महाविकासी आघाड़ी सरकार ने 29 जून 2022 को इन दोनों शहरों के नाम में बदलाव को लेकर निर्णय लिया था। जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विषय में 16 जुलाई 2022 को नया फैसला किया है। दोनों याचिकाओं में दावा किया गया है कि सरकार की ओर से औरंगाबाद व उस्मानाबाद के नाम में बदलाव करने का निर्णय राजनीति से प्रेरित है। इस फैसले से धार्मिक व सांप्रदायिक वैमनस्य बढेगा।

याचिका में कहा गया है कि 1998 में भी राज्य सरकार की ओर से उस्मानाबाद का नाम बदलने की कोशिश की गई थी लेकिन सरकार इसमें सफल नहीं हुई थी। नामकारण को लेकर निर्णय लेते समय संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि  औरंगाबाद का नामकरण करते समय शिंदे सरकार जनभावनाओं पर विचार नहीं किया है। इसलिए सरकार के फैसले को अवैध घोषित कर दिया जाए।  

Created On :   15 Feb 2023 9:27 PM IST

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