रेल यात्रियों की कट रही जेब, लोगों में भारी नाराजगी

Normal trains but recovery of specials
रेल यात्रियों की कट रही जेब, लोगों में भारी नाराजगी
सामान्य ट्रेनें लेकिन स्पेशल की वसूली रेल यात्रियों की कट रही जेब, लोगों में भारी नाराजगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना की स्थिति में सुधार और अनलॉक की प्रक्रिया के साथ ही कई ट्रेनों का परिचालन शुरू है, लेकिन सामान्य ट्रेनों को विशेष ट्रेन बनाकर यात्रियों से 30 से 40 फीसदी अतिरिक्त भाड़ा वसूला जा रहा है। महामारी कोरोना के प्रकोप पर नियंत्रण स्थापित होने के बावजूद रेलवे प्रशासन कमाई के इस फार्मूले को बरकरार रखे हुए हैं। मध्य रेलवे नागपुर मंडल अंतर्गत रोजाना वाया नागपुर 97 विशेष ट्रेनें परिचालित हो रही हैं। इन ट्रेनों में रोजाना हजारों यात्री सफर कर रहे हैं। विशेष ट्रेन का भाड़ा सामान्य ट्रेनों की तुलना में 30 से 40 फीसदी अधिक होता है। महामारी कोरोना से बेजार लोगों की माली हालत बेहद खस्ता हो चली है। इसके बावजूद रेलवे प्रशासन विशेष ट्रेनों के नाम पर इन यात्रियों की जेबें काटने में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरत रहा है। पूछे जाने पर कि सामान्य ट्रेनों को विशेष ट्रेनों का दर्जा देकर कब तक इस प्रकार की लूट-खसोट जारी रहेगी? जिम्मेदार अधिकरियों का जवाब है कि इस संबंध में निर्णय रेल मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा। भारतीय रेल को पटरी पर आने में कितना वक्त लगेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है।

कोरोना काल में रेलवे ने सफर के दौरान किराए में मिलने वाली हर तरह की रियायत को स्पेशल ट्रेनों में बंद कर रखा है। इस सुविधा से कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज भी वंचित हैं। ऐसे में मरीजों को सफर करने के लिए पूरा किराया भरना पड़ रहा है। रेलवे द्वारा अलग-अलग 53 श्रेणियों के पात्र यात्रियों को किराए में 25 से 100 प्रतिशत तक छूट का प्रावधान किया गया है। दिव्यांग, कैंसर रोगी, डायलिसिस, हीमोफिलिया, एड्स समेत अन्य गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को किराए में 50 से 100 प्रतिशत तक की छूट मिलती हैं। इसी तरह वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं, छात्रों के शैक्षिक भ्रमण, युद्ध में शहीदों की विधवाओं, कलाकार, खिलाड़ियों को भी रेल किराए में छूट है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अध्यापकों को मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर कोच में 50 प्रतिशत किराए में रियायत मिलती है। इन दिनों रेलवे प्रशासन केवल स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर है , जिसके कारण पात्र यात्रियों को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जा रही है। रेलवे के इस निर्णय के कारण  गंभीर बीमारी से जूझ रहे यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है।

रियायत का प्रावधान

रेल प्रशासन द्वारा कई वर्गों के लिए रियायत का प्रावधान किया गया, लेकिन विशेष ट्रेनों में यह रियायत नहीं मिल रही है। विशेषकर 60 वर्ष व उससे अधिक उम्र के पुरुष को सभी श्रेणियों में 40 प्रतिशत और 58 वर्ष और उससे अधिक की महिलाओं को सभी श्रेणियों में 50 प्रतिशत रियायत(राजधानी, शताब्दी और दूरंतो गाड़ियां भी शामिल है) दी जाती हैं। 

इसके अलावा दिव्यांग, नेत्रहीन, मानसिक रूप से विक्षिप्त पीड़ित का सहचर के साथ टिकट में 75 प्रतिशत रियायत, फर्स्ट और सेकंड एसी में 50 प्रतिशत छूट का प्रावधान है। 

मूक- बधिर व्यक्ति को जनरल, स्लीपर और प्रथम श्रेणी टिकट में 50 प्रतिशत रियायत, कैंसर पीड़ित को अकेले या सहचर के साथ स्लीपर और थर्ड एसी में 100 प्रतिशत किराए में छूट, फर्स्ट एसी और सेकंड एसी में 50 फीसदी रियायत मिलती है। 

किडनी प्रत्यारोपण ऑपरेशन, डायलिसिस, थैलेसीमिया मरीजों की  शल्य चिकित्सा के लिए सहचर के साथ जनरल, स्लीपर, थर्ड

एसी, चेयर कार में 75% और फर्स्ट एसी, सेकंड एसी में 50 प्रतिशत की रियायत।

हीमोफिलिया, टीबी, असंक्रामक कुष्ठ  रोग, एड्स, ओस्टोमी सिकलसेल, एप्लास्टिक रोगों के स्वास्थ्य जांच के लिए पीड़ितों को सहचर के साथ 50 से 75%रियायत। 

श्रम पुरस्कार विजेताओं को जनरल और स्लीपर कोच में 75 प्रतिशत की रियायत दी जाती है, जो अभी नहीं मिल पा रही है।  

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अध्यापक-शिक्षा क्षेत्र में अनुकरणीय सेवा करने वालों को जनरल और स्लीपर कोच में 50%की रियायत। 

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों के साथ यात्रा करने वाले माता या पिता को जनरल और स्लीपर कोच में 50 प्रतिशत की रियायत।  

आपदा में यह कैसा अवसर

आपदा को अवसर में बदलने और लोगों की जेब ढीली करके उनसे वसूली करने का गुर कोई रेलवे प्रशासन से सीखे। यह बात इसलिए कही जा रही है कि कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनें अब धीरे-धीरे चलनी शुरू हो गई हैं। परंतु प्रायः सभी ट्रेनों को फेस्टिवल व स्पेशल के रूप में रेलवे चला रहा है और सभी ट्रेनों में यात्रियों से अलग-अलग मनमाना किराया वसूला जा रहा है। वहीं, सुविधाओं के नाम पर रेलवे की ओर से कुछ भी प्रदान नहीं किया जा रहा है। बावजूद यात्री ट्रेनों में सफर करने को मजबूर हैं। लोगों की आर्थिक स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ा है। व्यापार-व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। इन सबके बावजूद सरकार को और रेलवे को शायद इन सब बातों से कोई लेना-देना नहीं है। यात्रियों में भारी नाराजगी है और यह प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।   

Created On :   17 Aug 2021 5:18 PM IST

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