संतरे को लेकर कोई निर्यात नीति भी तय नहीं थी। जिससे किसानों को संतरे का दर्जा बढाने के लिए बढ़ावा नहीं मिल रहा है। हालांकि वर्ष 2019 के नवंबर माह में संतरे के लेकर राज्य सरकार ने एक नीति बनाई है। जिसके बाद संतरे का उत्पादन बढ़ाने गतिविधियां तेज हो गई हैं। जिलाधिकारी के अंतर्गत विशेष कमेठी बनाकर कुछ समय पहले से कृषी विभाग के वसंतराव नाइक राज्य कृषी विस्तार व्यवस्थापन प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे अब विदर्भ के संतरे भी ए ग्रेड दर्जे पर पहुंच गए हैं।
- श्रीलंका के साथ होने वाली सीरीज के लिए गेल, एडवडर्स की विंडीज टीम में वापसी
- देश में अब तक लगाए जा चुके हैं कोरोना टीके के 1 करोड 37 लाख 56 हजार 940 डोज
- सऊदी प्रिंस सलमान ने दी थी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या हत्या करने की मंजूरी: अमेरिका
- भारत ने चीन से कहा, गतिरोध वाली सभी जगहों से हटें सेनाएं, तभी घटेगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती
- केरल विस चुनाव : हैरान करने वाली हो सकती है कांग्रेस की सूची
तो अब मलेशिया और दुबई में एक्सपोर्ट होगा नागपुर ऑरेंज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जल्द ही मलेशिया व दुबई के बाजारों में इस बार विदर्भ के संतरे बेचे जाएंगे। हाल ही में अमरावती और नागपुर जिले की कुछ जगहों पर खरीदार इसे देख परखकर गए हैं। कृषी विभाग के अनुसार इसके लिए उन्होंने सकारात्मक रवैया दिखाया है। एक्सपोर्टर और किसान वर्ग का तालमेल बनने के बाद यहां के संतरे समुद्री मार्ग से विदेश भेजे जा सकते हैं। विदर्भ में कुल सवा लाख हेक्टर पर प्रति वर्ष संतरे का उत्पादन होता है। जिसमें अंबिया व मृग बहार के संतरे रहते हैं। हर साल बडे पैमाने उत्पादन के कारण इसे भारत के हर राज्य में अच्छी मांग है।


इस बार मृग बहार के संतरों का उत्पादन काफी अच्छा है। जिसके चलते दुबई व मलेशिया के कुछ खरीदार यहां आकर अमरावती व नागपुर जिले के वरूड, काटोल व सालबर्डी आदि परिसर से संतरों को देखकर गए हैं। विदेश में संतरा लेकर जाने के लिए भी उन्होंने सकारात्मक रवैयां अपनाया है। यहां ज्यादा मात्रा में संतरे का उत्पादन होता है। अभी तक आम, अनार जैसे फलों की बिक्री के लिए सिट्रसनेट एप की सुविधा उपलब्ध थी। लेकिन अब संतरे की बिक्री के लिए भी किसानों के लिए एप बनाया गया है। जहां किसान अपने संतरों बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं।

अप्पर संचालक वनामती डॉ. अर्चना कडू के मुताबिक विदर्भ में संतरे का उत्पादन बड़े पैमाने पर है। कई किसान प्रशिक्षण के अभाव में पीछे रह जाते हैं। ऐसे में उन्हें प्रशिक्षण दिया जा सकता है। मलेशिया और दुबई से खरीदारों ने विजिट किया है। जिनका अच्छा खासा लाभ यहां के किसानो को मिलेगा।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।