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लिवर से जुड़ी बड़ी बीमारियों का इलाज दवा से संभव, टाल सकते हैं ट्रांसप्लांट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक मरीज की अाहार नली में कैंसर होने से वह बंद हो गई थी, ऐसी स्थिति में एंडोस्कोपी से स्टेंट डालकर आहार नली को खोल दिया। एंडोस्कोपी अब सिर्फ जांच करने की मशीन नहीं रह गई है, बल्कि उससे उपचार भी संभव हो गया है। नई टेक्नोलॉजी के कारण पेट की बड़ी-बड़ी बीमारियों का उपचार अब ऑपरेशन पर आधारित नहीं है उसे एंडोस्कोपी की मदद से भी किया जा सकता है। इसमें ऑपरेशन की अपेक्षा खर्च भी कम आता है और न ही मरीज को भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है। यह बात अमेरिका के प्रसिद्ध गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. कुलविंदर दुवा ने शनिवार को मिडास मेडिकल फाउंडेशन व रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय गेस्ट्रोकॉन-2018 कार्यशाला के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि अन्न नली के रीजनरेशन को पहली बार में ही सफलता मिल चुकी है। प्लूरीपोटेंट स्टेम सेल्स अर्थात मूल कोशिकाओं से दूसरी कोशिकाओं को जन्म देना संभव है। इसका प्रमाण यह है कि एक 24 वर्षीय युवक को आहार नली में कैंसर होने के बाद उसे 5 सेंटीमीटर काटकर वहां स्टेंट डाला गया था, जबकि 4 साल बाद स्टेंट की जगह पर रीजनरेटेड आहार नली दिखाई दी।
लिवर का मोटापा सामान्य नहीं
डॉ. सौरभ मुकेवार ने कहा कि लिवर का मोटापा कैंसर का कारण हो सकता है लोगों को लगता है कि लिवर का मोटापा सामान्य है, जो गलत है। आधुनिक जीवनशैली के कारण लिवर का मोटापा बढ़ रहा है जो लिवर की अन्य गंभीर बीमारियों में से एक है। हालांकि शुरुआती चरण में जीवनशैली में बदलाव व नियमित व्यायाम कर इस बीमारी को रोका जा सकता है। दवाओं का सेवन किडनी पर भारी पड़ सकता है : डॉ. दुवा ने बताया कि एसिडिटी वाले 60 फीसदी मरीज बिना डॉक्टर के उपचार लेते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह से ली गईं दवाएं मरीज के लिए भारी पड़ सकती हैं। कई बार एसिडिटी की जगह कोई और बीमारी होती है साथ ही एसिडिटी की दवाओं के साइडइफेक्ट बड़े प्रमाण पर देखने को मिलते हैं जो किडनी के लिए घातक है और उसे खराब भी कर सकते हैं।
लिवर सिरोसिस में टाल सकते ट्रांसप्लांट
मिडास मेडिकल फाउंंडेशन व रिसर्च इंस्टीट्यूट के संचालक व परिषद आयोजन सचिव डॉ. श्रीकांत मुकेवार ने बताया कि लिवर कैंसर की सबसे घातक बीमारी लिवर सिरोसिस के लिए अब प्रभावी दवाएं आ गई हैं, जिससे उसके उपचार संभव हो गया है। हाल ही में लिवर सिरोसिस के 75 मरीजों का दवाअों से उपचार के बाद उनकी बायोप्सी की गई। जिसमें सामने आया कि 70 फीसदी मरीज ठीक हुए। इससे स्पष्ट हो गया कि उचित दवा देकर लीवर सिरोसिस में ट्रांसप्लांट को टाल सकते हैं।
Created On :   18 Feb 2018 7:00 PM IST