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अब यातायात पुलिस करेगी घायलों का उपचार, डॉक्टरों से ली ट्रेनिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरा नगरी में बढ़ रहा यातायात का दाब और विकास कार्य के चलते सड़क पर छोटे-बड़े हादसों का प्रमाण भी बढ़ रहा है। सरकार व प्रशासन नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है। इसके लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की गई हैं। सड़क पर होने वाले हादसे में नागरिक घायल की मदद नहीं करते। वह पुलिस के पचड़े में पड़ने से घबराते हैं। किसी भी शहर में जब भी कोई वारदात या हादसा होता है, तब पुलिस पहुंचती है। सड़क पर यातायात पुलिस की ड्यूटी होती है। जब कोई सड़क हादसा हो जाता है, तब नागरिक पुलिस से मदद की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन यातायात पुलिस कर्मी घटनास्थल पर मौजूद रहने के बाद भी घायल व्यक्ति की मदद नहीं कर पाते हैं।
शहर पुलिस विभाग ने एन कॉप्स सेंटर छावनी में ईरा अस्पताल की मदद से यातायात पुलिस कर्मियों को एम्बुलेंस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद घायल की किस तरीके से मदद कर उसके जीवन की रक्षा की जा सकती है, इस बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के बाद अब एम्बुलेंस घटनास्थल पर आने के बाद पुलिस वहां घायल पड़े व्यक्ति का इलाज कर सकेगी। "जीवन रक्षा प्रशिक्षण" नामक जनजागृति कार्यक्रम के अंतर्गत हादसे के बाद घटनास्थल पर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को उठाने से लेकर उसे प्रॉपर हैन्डल करना महत्वपूर्ण कार्य होता है। ऐसे में यातायात पुलिस को इस प्राथमिक प्रशिक्षण की अत्यंत जरूरत थी।
300 से अधिक पुलिस कर्मियों ने लिया प्रशिक्षण
यह प्रशिक्षण अब इस शहर की जरुरत बन गया है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में 300 से अधिक पुलिस कर्मियों ने प्रशिक्षण हासिल किया। इस प्रशिक्षण में डॉ. उत्सव अग्रवाल, डॉ. निलेश अग्रवाल, डॉ. निधी मेश्राम, डॉ रंजीत आंबिलडुके व अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पुलिस कर्मियों का मार्गदर्शन किया। उन्हें प्रात्याक्षिक कर बताया गया। कार्यक्रम के लिए अमित हेडा, नीलेश नागोलकर, डॉ. प्रीति सावरकर, डॉ. बिप्लब मजुमदार, शेखर कोलते, जयराज मार्कंड, आनंद लुतड़ा, शैलेश बावणे, राम घाटबांडे, लेकुरवाले, दमयंती बंबाल, लोविणा गार्विन, डॉली अग्रवाल, चेतना कोल्हे, कांचन माने, संजीवनी चौधरी आदि ने प्रयास किया।
Created On :   29 April 2018 5:52 PM IST